बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने राज्य में महंगाई को लेकर एक और बड़ा कदम उठाया है। दूध, दही और बिजली के दामों में हालिया बढ़ोतरी के बाद, अब राज्य सरकार ने डीजल के दामों में भी बढ़ोतरी कर दी है। यह कदम राज्य की जनता के लिए चिंता का कारण बन गया है, क्योंकि पहले ही महंगाई से लोग परेशान हैं।
कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को डीजल के दामों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की घोषणा की। इससे राज्य में डीजल की नई कीमत अब 91.02 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जो पहले 89 रुपये प्रति लीटर के आसपास थी। इस वृद्धि से राज्य सरकार को लगभग 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला राज्य में डीजल की कीमतों के आसपास के पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम होने के कारण लिया गया है।
यह दूसरी बार है जब राज्य सरकार ने डीजल की कीमतों में वृद्धि की है। पिछले साल जून में भी डीजल पर टैक्स बढ़ाकर 18.44 फीसदी कर दिया गया था, जो पहले 14.34 फीसदी था। अब, इस नई वृद्धि के बाद बिक्री-कर बढ़कर 21.7 प्रतिशत हो गया है।
जनता पर महंगाई का असर
डीजल पर बढ़े हुए टैक्स का असर सीधे तौर पर आम जनता पर पड़ेगा। खासकर ट्रांसपोर्ट सेक्टर और अन्य मालवाहन सेवाओं पर इसका सीधा प्रभाव देखा जाएगा, जिसके कारण वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। हाल ही में, दूध की कीमतों में भी 4 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ था, और बिजली शुल्क में 36 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई थी। इसके अलावा, स्थायी शुल्क में 25 रुपये प्रति किलोवाट की बढ़ोतरी भी की गई थी, जो आम उपभोक्ताओं के लिए एक और अतिरिक्त बोझ बन गई है।
विपक्ष ने किया विरोध
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा फरवरी में पेश किए गए 2025-26 के बजट में न तो कोई नया टैक्स लगाया गया था और न ही मौजूदा करों में कोई बदलाव किया गया था। तब विपक्षी नेताओं ने चेतावनी दी थी कि बजट सत्र खत्म होने के बाद लोगों को कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। विपक्ष के नेता आर अशोक ने यह भी कहा था कि महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए और अब उनकी बातों में सच्चाई नजर आ रही है।