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Karnataka Nurse Use Fevikwick : टांका लगाने की बजाए नर्स ने फेविक्विक से चिपका दिया बच्चे का घाव

by Reeta Rai Sagar
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बेंगलुरु : एक सरकारी अस्पताल में एक बच्चे के घाव को नर्स ने टांका लगाने की बजाय फेविक्विक से चिपका दिया। मामला कर्नाटक का है। कर्नाटक (Karnataka) के सरकारी अस्पताल में घाव पर टांके लगाने के बजाए फेविक्विक यूज करने वाली नर्स को सस्पेंड कर दिया गया है। यह फैसला 5 फरवरी को राज्य के चीफ सेक्रेट्री (Chief Secretary) की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान लिया गया।


स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवा आयुक्त ऑफिस की ओर से एक बयान जारी कर बताया गया कि फेविक्विक एक एडहेसिव सॉल्यूशन है, जिससे टूटी हुई चीजों को चिपकाया जाता है और नियमों के तहत मेडिकल यूज के लिए इसकी अनुमति नहीं है। इस मामले के उजागर होने के बाद बच्चे के इलाज के लिए फेविक्विक का इस्तेमाल करने वाली स्टाफ नर्स को शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर सस्पेंड कर दिया गया है और नियमों के मुताबिक आगे की जांच जारी है।


मेडिकल से जुड़ा यह संगीन मामला कर्नाटक के हावेरी जिले के अदूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। जहां 14 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन सात साल के गुरुकिशन अन्नप्पा होसामनी को गाल पर चोट लग गई और चोट की जगह से बहुत खून बह रहा था, जिसके बाद परिजन उसे लेकर भागे-भागे अस्पताल पहुंचे।


अस्पताल पहुंचने के बाद स्टाफ नर्स ने कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर बच्चे के माता-पिता दंग रह गए। वहां मौजूद नर्स बच्चे की चोट पर टांके की बजाय फेविक्विक लगाने लगी। जब उन्होंने आपत्ति जताई तो नर्स ने कहा कि वो सालों से ऐसा करती आ रही है और यह बेहतर है, क्योंकि टांके लगाने से बच्चे के चेहरे पर परमानेंट निशान रह जाएगा। बच्चे के पेरेंट्स ने इस बातचीत को अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया।


इस घटना के बाद उन्होंने नर्स के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई और सबूत के तौर पर वीडियो रिकॉर्डिंग पेश की। शुरुआत में शिकायत दिए जाने के बावजूद नर्स को सस्पेंड करने की बजाए उसका ट्रांसफर एक दूसरे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कर दिया गया, जिसके बाद स्थानीय लोग क्रोधित हो उठे और मामला तूल पकड़ लिया। बाद में दबाव बढ़ता देख 5 फरवरी को सरकार ने नर्स को सस्पेंड करने का फैसला किया।


कर्नाटक सरकार की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में बताया गया है कि जिस बच्चे का इलाज किया गया है, उसका स्वास्थ्य ठीक है और संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों को किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।

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