कलबुर्गी: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। शायद यही कारण है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सार्वजनिक रूप से बयान देना पड़ा। कर्नाटक के कत्ती सांगवी गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में मल्लिकार्जुन खड़गे ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की ओर इशारा करते हुए पार्टी नेताओं से कहा कि उन्हें एक साथ काम करना चाहिए और एक-दूसरे के खिलाफ विपरीत दिशा में नहीं जाना चाहिए।
बोले खड़गे- लोग बहुत उम्मीद से चुनते हैं नेता
शनिवार को कर्नाटक के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के लिए ‘कल्याण पथ परियोजना’ के शुभारंभ के अवसर पर खड़गे ने यह बात कही। यह कार्यक्रम कत्ती सांगवी गांव (धर्म सिंह अस्पताल के परिसर में) के पास आयोजित किया गया था जो जेवरगी के पास स्थित है। खड़गे ने कहा कि लोग अपने नेताओं को बड़ी उम्मीदों के साथ चुनते हैं और नेताओं का कर्तव्य है कि वे इन उम्मीदों को पूरा करें। खड़गे ने यह सवाल उठाया कि अगर नेता विपरीत दिशा में जाएंगे तो वे अपने लोगों का सामना कैसे करेंगे।
शिवकुमार इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। इसमें सिद्धारमैया के आने की बात भी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से वे नहीं आ सके।
खड़गे ने कहा कि शायद यह सिद्धारमैया का रिकॉर्ड है। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में 16 बार बजट पेश किया। उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया सभी वर्गों, विशेष रूप से दलितों और पिछड़े वर्गों के विकास के लिए काम कर रहे हैं और शिवकुमार भी केपीसीसी के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के रूप में अच्छा काम कर रहे हैं। शिवकुमार के एक भाषण का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस साल कल्याण कर्नाटक के विकास के लिए 5000 करोड़ रुपये दे रही है। खड़गे ने कहा कि यह क्षेत्र कई दशकों से पिछड़ा हुआ रहा है।
समर्थन के लिए कलबुर्गी के लोगों का जताया आभार
खड़गे ने कल्याण कर्नाटक और विशेष रूप से कलबुर्गी के लोगों का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके निरंतर समर्थन के कारण ही वह एआईसीसी अध्यक्ष बने। साथ ही उन्होंने 2019 में कलबुर्गी लोकसभा सीट से अपनी हार पर अपनी निराशा भी व्यक्त की। उन्होंने सिद्धारमैया और शिवकुमार से कहा कि उन्हें हमेशा याद रखना चाहिए कि कल्याण कर्नाटक ने कई कांग्रेस विधायकों और सांसदों को विधानसभा और लोकसभा में भेजा है। जो योजनाएं मैसूर से शुरू होती हैं, वे बेंगलुरु में ही रुक जाती हैं, लेकिन जो योजनाएं कल्याण कर्नाटक से शुरू होती हैं, वे पूरे राज्य तक पहुंचती हैं।