रांची / नई दिल्ली : शुक्रवार को देशभर में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दिन श्रद्धालुओं ने गंगा और अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। झारखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों में भक्तों ने विशेष रूप से, देवघर, सुल्तानगंज, हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, पटना में गंगा घाटों समेत अन्य शहरों व राज्यों में विभिन्न नदियों के तट पर भारी संख्या में पहुंचकर पुण्य स्नान किया और पूजा-अर्चना की।
गंगा स्नान का विशेष महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से इस दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस दिन गंगा के पवित्र जल में स्नान करते हैं। इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाने की भी परंपरा है, जब देवता गंगा स्नान के लिए आते हैं। हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। गंगा के तटों पर सैकड़ों दीपों के दीपदान से माहौल और भी धार्मिक हो गया। इन स्थानों पर मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना और अनुष्ठान भी आयोजित किए गए।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। हरिद्वार और वाराणसी में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। वहीं, यातायात व्यवस्था को भी सुचारू बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
गंगा स्नान और दीपदान से प्राप्त पुण्य
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दीपदान से संबंधित कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और विशेष रूप से तुलसी पत्र और चांदी के पात्रों का दान करने से अनंत पुण्य मिलता है। इसके अलावा, जो श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद दीपदान करते हैं, उन्हें अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है और जीवन में चंद्रमा से संबंधित किसी भी प्रकार का कष्ट भी समाप्त हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय ने राक्षसों को हराकर विजय प्राप्त की थी और अपनी विजय पताका फहराई थी। इसलिए इस दिन की विशेष महत्वता और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
कई अन्य धार्मिक अनुष्ठान
कार्तिक पूर्णिमा पर सिर्फ गंगा स्नान ही नहीं, बल्कि देशभर में कई धार्मिक अनुष्ठान और आयोजनों का भी आयोजन हुआ। मंदिरों में विशेष पूजा अर्चनाओं के अलावा, समाज में गरीबों को भोजन और वस्त्र दान देने की परंपरा भी रही। खासकर इस दिन को लेकर लोग परंपरागत रूप से दीपदान कर पवित्रता की ओर कदम बढ़ाते हैं, जिससे न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर गंगा स्नान और दीपदान का धार्मिक महत्व अधिक बढ़ जाता है, जब लोग इस अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए अपने पुण्य को बढ़ाते हैं। यह पर्व न केवल शारीरिक पवित्रता को बढ़ाने का अवसर है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी पर्व है। श्रद्धालुओं ने इस दिन के महत्व को समझते हुए गंगा स्नान और पूजा अर्चना कर पुण्य अर्जित किया, साथ ही जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए दान भी किया।