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केजरीवाल मुद्दे पर भारत व अमेरिका आमने-सामने, अमेरिका के बयान पर भारत ने जताई थी आपत्ति

by Rakesh Pandey
Kejriwal case
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नयी दिल्ली: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर (Kejriwal case) भारत में अमेरिकी राजनयिक ने एक बार फिर बयान दिया है। उन्होंने बुधवार को अपने बयान में कहा कि वह निष्पक्ष, पारदर्शी, समयबद्ध कानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करते हैं। भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास के कार्यवाहक उपप्रमुख ग्लोरिया बरबेना ने कहा कि हमें नहीं लगता कि किसी को इससे आपत्ति होनी चाहिए।

अमेरिका के विदेश मंत्री ने क्या कहा (Kejriwal case)

बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी सहित इन कार्रवाईयों पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेंगे। इस मामले पर अब भारत सरकार की तरफ से बरबेना को तलब किया गया है। मैथ्यू मिलर ने बुधवार रात प्रेस ब्रीफिंग में कहा- “हम अपने स्टैंड पर कायम हैं। इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरी हो।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा – बाहरी आरोप अस्वीकार्य

गुरुवार (28 मार्च) को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंत्रालय की साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा, ”कल भारत ने अमेरिकी दूतावास की एक वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों को लेकर कड़ी आपत्ति और विरोध दर्ज कराया था। (अमेरिकी) विदेश मंत्रालय की हाल की टिप्पणियां अनुचित हैं। हमारी चुनावी और कानूनी प्रक्रियाओं पर ऐसा कोई भी बाहरी आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”

उन्होंने कहा, ”भारत में कानूनी प्रक्रियाएं कानून के शासन से ही संचालित होती है। कोई भी जो समान प्रकृति का है, विशेषकर साथी लोकतंत्रों को इस तथ्य की सराहना करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। भारत को अपनी स्वतंत्र और मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गर्व है। हम किसी भी प्रकार के अनुचित बाहरी प्रभाव से उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।” यह कानूनी प्रक्रिया है । देश कानून और संविधान से ही चलता है।

(Kejriwal case)

एक दिन पहले अमेरिका द्वारा दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कमेंट किए जाने के बाद भारत की तरफ से जारी बयान में कहा गया था, “हम भारत में कुछ कानूनी कार्यवाहियों के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हैं। कूटनीति में, राज्यों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है।

लोकतंत्रों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है। अन्यथा यह अनहेल्दी मिसाल कायम कर सकता है। भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं। उस पर सवाल उठाना अनुचित है।”

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