Home » केरल में छाया निपाह वायरस का खतरा, हो रही हैं मौतें…जानें क्या है यह?

केरल में छाया निपाह वायरस का खतरा, हो रही हैं मौतें…जानें क्या है यह?

निपाह वायरस के इलाज के लिए अभी तक न कोई एंटीवायरल दवा और ना ही कोई वैक्सीन उपलब्ध है, इसलिए यह ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है।

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

सेंट्रल डेस्क: वर्ष 2018 का 19 मई वह तारीख है जिस दिन निपाह वायरस का पहला केस केरल में देखा गया था और इसकी सूचना मिली थी। इसके बाद 2021, 2023 और अभी यानी की 2024 में यह फिर से अपना रूप दिखा रहा है। इससे पहले 2001 और 2007 में पश्चिम बंगाल में निपाह वायरस के प्रकोप को देखा गया था।

केरल में युवक की मौत
बीते रविवार को केरल में 24 वर्षीय शख्स की इस बीमारी से मौत हो गई हैं इसकी जानकारी खुद केरल के मुख्यमंत्री ने दी। निपाह वायरस से एक मौत केरल में दर्ज की गई है। निपाह वायरस के इलाज के लिए अभी तक न कोई एंटीवायरल दवा और ना ही कोई वैक्सीन उपलब्ध है, इसलिए यह ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। अभी सिर्फ इससे बचने और सचेत रहने की कोशिश की जा रही है।

निपाह वायरस है क्या?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निपाह वायरस (NiV) एक जूनोटिक वायरस है। इसका मतलब है कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है और दूषित भोजन के ज़रिए या सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है। चमगादड़ो द्वारा खाए गए फलों से इस वायरस के फैलने की बात कही जा रही है, और मनुष्य गलती से चमगादड़ द्वारा दूषित फल खाने से संक्रमित हो सकते है: मलेशिया व सिंगापुर में पहली बार मानव में हुआ था संक्रमण
पहली बार इस बीमारी के लक्षण मलेशिया और सिंगापुर में देखे गए थे तब ज़्यादातर मानव संक्रमण बीमार सूअरों या उनके दूषित ऊतकों के सीधे संपर्क से हुआ था। बाद में, बांग्लादेश और भारत में इसका प्रकोप शायद संक्रमित फल चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित फलों या फल उत्पादों के सेवन के कारण हुआ।

लक्षण क्या हैं इसके?

  • इस वायरस से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति 3 से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द का सामना कर सकता है।
  • ये लक्षण 24 से 48 घंटों में मरीज़ को कोमा में पहुंचा सकते हैं।
  • इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि लगभग आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं।

निपाह वायरस का इलाज

  1. दिन में 7-8 गिलास से कम पानी न पिएं।
  2. आराम करने में लापरवाही न करें।
  3. मतली या उल्टी रोकने के लिए दवाएं लें।
  4. सांस लेने में दिक्कत हो तो इन्हेलर या नेब्युलाइजर का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर लें।
  5. दौरे पड़ रहे हैं तो एंटीकॉन्वल्जेंट्स डॉक्टर दे सकते हैं।
  6. निपाह वायरस के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट भी डॉक्टर दे सकते हैं। क्या यह खतरनाक है?
  7. संक्रमण से लेकर लक्षण दिखने तक का अंतराल 4 से 14 दिनों का माना जाता है। हालांकि, 45 दिनों तक पीड़ित ठीक हो सकता हैं। तीव्र इंसेफेलाइटिस से बचे हुए अधिकांश लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, लेकिन बचे हुए लोगों में काफी समय तक दिमागी समस्याएं देखी गई हैं। “लगभग 20 प्रतिशत रोगियों में दौरे की बीमारी और व्यक्तित्व में परिवर्तन जैसे अवशिष्ट न्यूरोलॉजिकल परिणाम रह जाते हैं। कुछ लोग जो ठीक हो जाते हैं, उनमें बाद में बीमारी फिर से फैल जाती है या उनमें विलंबित शुरुआत वाला इंसेफेलाइटिस विकसित हो जाता है।” इस बीच, मृत्यु दर का अनुमान 40 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक है।

Related Articles