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Kerala: केरल के मंदिरों में शर्टलेस प्रवेश करने के नियमों में बदलाव को लेकर हिंदू समुदाय विभाजित

मंदिर के रीति-रिवाजों के बारे में निर्णय तंत्रियों (पुजारियों) और मंदिर प्रशासन में सीधे तौर पर शामिल लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री विजयन की टिप्पणी की भी आलोचना की और उन्हें अनुचित बताया।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्कः केरला के मंदिरों में पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में प्रवेश से पहले शर्ट उतारने की प्रथा को लेकर विभिन्न हिंदू संगठनों के बीच बहस छिड़ गई है। श्री नारायण धर्म परिपालन (एसएनडीपी) के महासचिव वेल्लापल्ली नतेशान ने इस मामले पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह के मुद्दों से हिंदू समुदाय को विभाजित नहीं करना चाहिए।

आगे उन्होंने कहा कि “हिंदुओं के बीच विभिन्न रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करने वाले कई वर्ग हैं। इस तरह के मुद्दों से उनके बीच विभाजन नहीं होना चाहिए।’ उन्होंने अलग-अलग प्रथाओं के बावजूद हिंदुओं के बीच एकता का आग्रह किया। उनकी यह टिप्पणी शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद के बयान से उठे हालिया विवाद के जवाब में आई है।

क्या कहा था स्वामी सच्चिदानंद ने
स्वामी सच्चिदानंद ने सुझाव दिया था कि मंदिरों को पुरुष भक्तों को प्रवेश के समय शर्ट पहनने की अनुमति नहीं देने की प्रथा को छोड़ देना चाहिए। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने स्वामी के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि बदलते समय के आलोक में इस तरह की प्रथाओं पर पुनर्विचार किया जा सकता है। हालांकि, इस बहस में कुछ गुटों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आई। विशेष रूप से नायर सर्विस सोसाइटी (एनएसएस) से।

क्या कहना है नायर सर्विस सोसायटी का

एनएसएस के महासचिव जी सुकुमारन नायर ने सरकार के हस्तक्षेप की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक प्रभाव के कारण मंदिरों के रीति-रिवाजों और प्रथाओं को नहीं बदला जाना चाहिए। नायर ने कहा, ‘सभी हिंदुओं को अपने-अपने पूजा स्थलों पर प्रथाओं को बाधित किए बिना मंदिरों में प्रवेश करने की स्वतंत्रता है।’

कुछ मंदिरों में अलग-अलग प्रथाएं होती है

एसएनडीपी के प्रमुख नतेशान ने कहा कि स्वामी सच्चिदानंद के बयान में कुछ भी नया नहीं है। उन्होंने बताया कि एसएनडीपी के तहत कई मंदिरों ने पहले ही पुरुष भक्तों को ऊपरी वस्त्र पहनकर प्रवेश करने की अनुमति दी है। नतेशान ने कहा, “कुछ मंदिरों में अलग-अलग प्रथाएं हो सकती हैं, लेकिन इसे एक दिन में समाप्त नहीं किया जा सकता है।”

यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, सरकार तय न करें

इस बीच, केरल योगक्षेम सभा के अध्यक्ष अक्कीरामोन कालिदासन भट्टाथिरीपाद ने एनएसएस के रुख के समर्थन में आवाज उठाई और कहा कि मंदिर के रीति-रिवाजों के बारे में निर्णय तंत्रियों (पुजारियों) और मंदिर प्रशासन में सीधे तौर पर शामिल लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री विजयन की टिप्पणी की भी आलोचना की और उन्हें अनुचित बताया। भट्टाथिरीपाद ने कहा, ”यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और यह सरकार द्वारा तय नहीं किया जाना चाहिए।

सभी वर्गों के साथ चर्चा किया जाना चाहिए

इसके विपरीत, त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड के अध्यक्ष पी एस प्रशांत ने इस बात पर चर्चा का आह्वान किया कि क्या विभिन्न मंदिरों में पालन की जाने वाली परंपराओं के लिए समय पर बदलाव जरूरी है। प्रशांत ने कोई भी बदलाव करने से पहले बातचीत के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “सभी वर्गों के साथ चर्चा किए बिना, हम किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकते।

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