रांची: सदर अस्पताल, रांची में शनिवार को चिकित्सा क्षेत्र में एक अहम उपलब्धि दर्ज की गई। अस्पताल में पहली बार आधुनिक आर्थ्रोस्कोपी एसीएल (Arthroscopy ACL) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक मरीज के घुटने की सफल सर्जरी की गई। इस ऑपरेशन को की-होल सर्जरी तकनीक से अंजाम दिया गया, जिसमें बिना बड़े चीरे लगाए दूरबीन की मदद से सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी पर सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने टीम को बधाई दी है।
इंटरनल ब्रेसिंग का किया उपयोग
ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. मुजम्मिल और डॉ. प्रभात रंजन के नेतृत्व में की गई इस सर्जरी में इंटरनल ब्रेसिंग नामक नवीनतम चिकित्सा पद्धति का भी उपयोग किया गया। इस सफल प्रयास से यह स्पष्ट हो गया है कि अब सदर अस्पताल में भी गंभीर और जटिल आर्थोपेडिक सर्जरी संभव हो पाई है, जो अब तक केवल बड़े निजी अस्पतालों में उपलब्ध थी।
प्राइवेट हॉस्पिटल से आया था मरीज
डॉ मुजम्मिल ने जानकारी दी कि मरीज काठीटांड़ स्थित एक प्राइवेट अस्पताल से रेफर होकर सदर अस्पताल आया था। उसे पिछले चार महीनों से घुटने में दर्द, लचक और चलने में असहजता की शिकायत थी। काम के दौरान वह कई बार लड़खड़ाकर गिर भी जाता था। एमआरआई जांच में सामने आया कि मरीज के घुटने का एंटीरियर क्रूशिएट लिगामेंट (ACL) क्षतिग्रस्त हो चुका है। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने उसे आर्थ्रोस्कोपी तकनीक से ऑपरेशन के लिए तैयार किया। यह प्रक्रिया पूरी तरह सफल रही और मरीज की हालत में अब तेजी से सुधार हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार जल्द ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
चोट को इग्नोर करना पड़ेगा भारी
डॉ मुजम्मिल ने यह भी कहा कि इस प्रकार की लिगामेंट चोट का समय पर इलाज बहुत जरूरी होता है। यदि इसे नजरअंदाज किया जाए, तो भविष्य में घुटनों के जोड़ समय से पहले घिसने लगते हैं और आर्थराइटिस जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
ये थे टीम में शामिल
सर्जरी में सहयोग देने वाली टीम में डॉ. प्रभात रंजन के अलावा एनेस्थेटिस्ट डॉ. दीपक, ओटी असिस्टेंट मुकेश, अनीता, नीरज और अन्य सहयोगी स्टाफ शामिल रहे।