सेंट्रल डेस्क : अपनी शिष्याओं के साथ रेप और हत्या के जुर्म में रोहतक के सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम शनिवार सुबह को 40 दिन के पैरोल पर छूटा है। इससे पहले भी उसे 6 बार पैरोल मिल चुकी है। इस बार 7वीं बार वह पैरोल पर छूटा है।
शिष्याओं से बलात्कार व हत्या के जुर्म में काट रहा उम्रकैद
राम रहीम को पंचकुला की एक विशेष सीबीआई की अदालत ने 2017 में अपनी 20 वर्ष की शिष्याओं के साथ बलात्कार और हत्या के जुर्म में दोषी करार दिया था। बलात्कार के जुर्म में 20 वर्ष जबकि हत्या के जुर्म में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली है।
नहीं दी गई डेरा मुख्यालय जाने की इजाजत
पैरोल पर छोड़े जाने पर जेल प्रशासन ने उसे सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय जाने की इजाजत नहीं दी है। उसे जेल से सीधे उतर प्रदेश के बागपत स्थित बरनावा आश्रम रहना पड़ेगा। हालांकि इसके लिए बरनावा आश्रम की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। राम रहीम पर पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी उम्रकैद की सजा मिली हुई है। राम रहीम इसी साल जनवरी में भी 40 दिन का पैरोल मिल चुकी है।
बार-बार पैरोल मिलने पर एसजीपीसी ने जताया विरोध
जानकारी के अनुसार राम रहीम का जन्मदिन 15 अगस्त को है। इस बार वह सजा के बाद पहली बार 15 अगस्त का जन्मदिन मनायेगा। राम रहीम को बार-बार पैरोल मिलने परएसजीपीसी ने विरोध जताया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कहा कि हत्या और बलात्कार जैसे मामले में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल मिलने से सिखों में अविश्वास का माहौल पैदा हो रहा है। साथ ही सरकार इस दोहरी नीति से सिखों में गलत मैसेज जायेगा। साथ ही बताया कि अगर हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के दोषी गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दी जा सकती है तो अन्य कैदियों को क्यों नहीं?
जेल से बाहर आने के बाद सोशल मीडिया का करता है इस्तेमाल
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल से पैरोल पर बाहर आने के बाद अपने पुराने रंग में दिखता है। वह सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करता है। इससे पहले भी व सोशल मीडिया के माध्यम से अपने प्रशंसकों तक मैसेज को पहुंचाता रहा है। वह यूट्यूब वीडियो जारी कर संदेश देता है। इस बार भी उसने जेल से बाहर निकलते ही अपने अनुयायियों से उत्तर भारत में बाढ़ पीड़ितों को मदद करने की अपील की। साथ ही उसने सोशल मीडिया के माध्यम से डेरा में लोगों को बेवजह भीड़ नहीं लगाने की अपील की। एक यूट्यूब वीडियो में ईश्वर से विनती कर भारी बारिश व बाढ़ के चलते परेशान लोगों को रक्षा की बात कहता हुआ दिखाई दिया।
डेरा सच्चा सौदा क्या है?
डेरा सच्चा सौदा एक आध्यात्मिक आश्रम बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि इससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। भारत के अलावा कई देशों में इसकी शाखाएं हैं। देश-विदेश मिलाकर करोड़ों लोग इससे जुड़े हैं। सिरसा डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में हुई थी। तब से यह चल रहा है। अब इसका स्वरूप काफी बड़ा हो चुका है।
मस्ताना बलूचिस्तानी ने की थी स्थापना
डेरा सच्चा सौदा की स्थापना मस्ताना बलूचिस्तानी नामक एक साधु (संत शाह मस्ताना) ने 29 अप्रैल 1948 को की थी। यह हरियाणा के सिरसा स्थित बेगूमार्ग में स्थित है। इसकी शाखाएं अमेरिका, इंग्लैंड, यूएई, आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देशों में फैली हैं। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना से ही बाबा मस्ताना बलूचिस्तानी इसके प्रमुख रहे। 18 अप्रैल 1960 में उनके निधन के बाद शाह सतनाम सिंह 1990 तक डेरा प्रमुख रहे। 13 दिसंबर 1991 को उनका निधन हो गया। इसके बाद 23 सितंबर 1990 को गुरमीत राम रहीम डेरा सच्चा सौदा के तीसरे प्रमुख बने।
अलग तरह की व्यवस्था, संचालन के लिए बने हैं कई विभाग
डेरा सच्चा सौदा की कार्य प्रणाली किसी देश की तरह ही है। आश्रम को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए विभाग भी हैं। ये विभाग सभी व्यवस्था को संचालित करते हैं, जैसे खेती, परिवहन, लंगर, बिजली, मेडिकल, डेयरी-पशुपालन, समाज एवं कल्याण, आईटी आदि के लिए अलग-अलग विभाग है। जानकारी के अनुसार गुरमीत राम रहीम के कार्यकाल में डेरा सच्चा सौदा का बहुत विकास हुआ है। इसके प्रबंधन के लिए कई कमेटियां भी है। सभी कमेटी अपने कार्य की सूची की रिपोर्ट डेरा प्रमुख तक पहुंचाती है।
निजी सुरक्षा व्यवस्था में महिला सुरक्षाकर्मी भी
डेरा के पास सुरक्षा के लिए खुद की सुरक्षाकर्मी है। जिसे डेरा में ही ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा महिला सुरक्षा कर्मियों को भी तैयार किया जाता है। डेरा का अपना सिक्का भी चलता है। जो प्लास्टिक के टोकन के रूप में होते है। रंग के अनुसार सिक्के की वैल्यू तय की गई है। डेरा की खुद की 35 एकड़ में फिल्म स्टूडियो भी है।
क्या है पैरोल? इसे किसे दी जाती है?
पैरोल की सुविधा कैदी को विशेष हालात व शर्तों पर दी जाती है। किसी अपराधी द्वारा जेल में अपने गुनाह के लिए लंबे समय से सजा काटने, इस बीच जेल में अच्छा व्यवहार व आचरण करने पर उसे जेल से अस्थाई रूप से मुक्त किया जाता है। इसे पैरोल कहते है। पैरोल एक निश्चित अवधि के लिए होता है। हालांकि कुछ कंडीशन पर कोर्ट में एक एप्लीकेशन देकर इसकी अवधि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
कितने तरह के होते हैं पैरोल?
पैरोल दो तरह के होते हैं। एक कस्टडी पैरोल व दूसरा रेगुलर पैरोल कस्टडी होता है।
कस्टडी पैरोल के तहत अपराधी को किसी विशेष स्थिति में जेल से बाहर लाया जाता है। हालांकि उस दौरान अपराधी को पुलिस की कस्टडी में रहना पड़ता है। कस्टडी पैरोल 6 घंटों की होती है। इस तरह के पैरोल की सुविधा उस समय मिलती है जब अपराधी के किसी खास रिश्तेदार की शादी, मौत या बीमारी हो। पैरोल के लिए जेल सुपरिटेंडेंट के पास आवेदन किया जाता है। अगर किसी कारणवश वहां से पैरोल नहीं मिला तो कोर्ट के माध्यम से भी पैरोल की प्रक्रिया पूरी होती है।
वहीं दूसरा रेगुलर पैरोल होता है। यह पैरोल अपराधी को तब मिलती है जब अपराधी जेल में कम से कम एक साल की सजा काट चुका हो। अपराधी के परिवार में कोई बीमारी, विवाह, या किसी की मृत्यु के अलावा अन्य शर्तों पर पैरोल मिलते हैं।
सात बार पैरोल पर बाहर आ चुका है गुरमीत राम रहीम
गुरुमीत राम रहीम को पहली बार पैरोल 24 अक्टूबर 2020 को मिली थी। दूसरी पैरोल 21 मई 2021 को मिली थी। तीसरी बार पैरोल 7 फरवरी 2022 को, चौथी बार जून 2022, पांचवी बार अक्टूबर 2022, छठी बार जनवरी 2021 को वहीं सातवीं बार 20 जुलाई 2023 को 30 दिनों के लिए उसे पैरोल मिली है।