जमशेदपुर : कोल्हन विश्वविद्यालय ने 2008 में नियुक्त शिक्षकों की पहली प्रोन्नति को प्राथमिकता दी है। इसके लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर दिया गया है। कुलपति की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में संबंधित संकाय अध्यक्ष और स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष को शामिल किया गया है। कमेटी 4 जुलाई तक सभी विषयों की स्क्रीनिंग पूरी कर रिपोर्ट देगी।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. एके झा ने बताया कि प्रोन्नति की प्रक्रिया कैरियर एडवांसमेंट स्कीम 2010 के तहत की जा रही है। प्रोन्नति के बाद शिक्षकों को 6000 से 7000 ग्रेड-पे का लाभ मिलेगा। बाह्य एजेंसी में कार्यरत कर्मचारियों की समस्या के समाधान के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुलपति ने शिक्षकों की प्रोन्नति को प्राथमिकता पर लेने का निर्णय लिया। स्क्रीनिंग कमेटी सभी विषयों से आए प्रोन्नति आवेदनों की समीक्षा करेगी। इसके आधार पर विश्वविद्यालय जेपीएससी को संस्तुति भेजेगा।
दो साल से पेंडिंग था मामला
कोल्हान विवि के करीब 150 शिक्षकों के प्रमोशन की फाइल मार्च 2023 से विवि में पड़ी हुई थी। क्योंकि इन फाइल की जांच जिस स्क्रीनिंग कमेटी को करनी थी। उसे केयू बना ही नहीं रहा था। जबकि जमशेदपुर महिला विवि समेत अन्य विवि के शिक्षकों के प्रमोशन की फाइल आयोग में है। हालांकि अब विवि द्वारा करीब दो साल बाद कमेटी का गठन कर दिया गया है। अब देखना होगा की यह कमेटी कितना जल्दी अपनी रिपोर्ट देती है।
अधिकांश विषयों में एक भी प्रोफेसर नहीं
कोल्हान विवि में 22 विषयों के अलावा टीआरएल के आठ नियमित कोर्स की पढ़ाई होती है। इसमें अधिकांश विषयों में एक भी प्रफेसर नहीं है। वहीं सिर्फ आधा दर्जन विषयों में एसोसिएट प्रोफेसर रह गए हैं, जो अगले एक-दो वर्षों में रिटायर कर जाएंगे। अालम यह है कि महिला व कोल्हान विवि में एक भी शिक्षक कुलपति व प्रति कुलपति पद के योग्य नहीं है।
2008 बैच के हर शिक्षक को 25 से 30 लाख का नुकसान
प्रोन्नति नहीं मिलने से शिक्षकों को क्या नुकसान हो रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जाता सकता है कि 2008 बैच के प्रत्येक शिक्षकों को अब तक 25 से 30 लाख रुपये तक का नुकसान हो चुका है। क्योंकि अगर 2012 में प्रोन्नति मिल गयी होती तो इनके वेतन में 20 से 25 हजार की बढ़ोत्तरी हो जाती और 12 साल में इन शिक्षकों को 25 से 30 लाख रुपये प्रोन्नति लाभ के रूप में मिल चुका होता।
प्रमोशन नहीं मिलने से क्या पड़ रहा प्रभाव
- वीसी-प्रोवीसी पद के लिए राज्य के अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं। क्योंकि इन दोनों पदों के लिए प्रो. पद पर 10 साल का शैक्षणिक अनुभव जरुरी है।
- राज्य के 90% सरकारी कॉलेजों में प्रिंसिपल का पद रिक्त है। वैकेंसी आती भी है तो इस पद योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलेंगे। क्योंकि प्रिंसिपल के लिए एसोसिएट प्रो.होना जरुरी है। पिछली बार जब वैकेंसी आई थी तो अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण 50% पद रिक्त रह गए थे।
- विवि में योग्य अधिकारी नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि जब वैकेंसी आती है तक रजिस्ट्रार समेत अन्यपदों के अर्हता रखने में राज्य के विवि कुछ ही अभ्यर्थी हैं। इसलिए जो आवेदन देते हैं, उसी में चयन होता है या बाहर के अभ्यर्थी आते हैं।
- यूनिवर्सिटी के कई विभागों में एचओडी नहीं मिल रहे हैं। एचओडी के लिए न्यूनतम एसोसिएट प्रोफेसर का होना जरुरी है। इसलिए एक्टिंग एचओडी बनाकर किसी तरह काम चलायाजा रहा है।
- स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षानीति 2020 के सिलेबस के अनुसार पढ़ाई हो रही है। अगले साल से पीजी में भी एनईपी सिलेबस पढ़ाई शुरू हो जाएगी।
Read Also: Kolhan University News : केयू का बड़ा निर्णय, मीडिया से जुड़ा ये फैसला लेकर सबको चौंकाया