Jamshedpur (Jharkhand): जमशेदपुर के करनडीह स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कॉलेज (LBSM College) में पांच दिवसीय “आदिवासी पारंपरिक नृत्य, वाद्य यंत्र एवं संगीत कार्यशाला” का मंगलवार को सफल समापन हुआ। टाटा स्टील फाउंडेशन और आदिवासी रोमोज आखड़ा के सौजन्य से आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को भारत की समृद्ध आदिवासी सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराना था।
कार्यशाला के समापन पर एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 80 से अधिक छात्रों ने अपनी सीखी हुई कला का शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने मांदर, नागाड़ा और बांसुरी जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर जनजातीय संताली नृत्य शैलियों की अद्भुत प्रस्तुति दी। इस मौके पर दो संताली शॉर्ट फिल्मों का भी प्रदर्शन किया गया, जिससे छात्रों को आदिवासी संस्कृति के आधुनिक पहलू को समझने का मौका मिला।
जड़ों से जुड़ने का संकल्प
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की आत्मा हमारे लोक जीवन और परंपराओं में बसती है। उन्होंने कहा, “इस कार्यशाला से हम न केवल अपनी जड़ों से जुड़े हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस धरोहर को संरक्षित करने का संकल्प भी लिया है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारी परंपराएं हमारी पहचान हैं और उन्हें जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है।
टाटा स्टील फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने भी छात्रों के उत्साह की सराहना की और भविष्य में ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई। कार्यक्रम का संचालन संताली विभाग के अध्यक्ष प्रो. बाबू राम सोरेन ने किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन विक्रम हेम्ब्रोम ने दिया। इस अवसर पर कॉलेज और टाटा स्टील फाउंडेशन के कई सदस्य और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।