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Maa Dewri temple : प्रसिद्ध दिउड़ी मंदिर में तालाबंदी के विरोध में बुंडू तमाड़ में बंदी, धोनी जाते रहे हैं इस मंदिर में

by Rakesh Pandey
Maa Dewri temple
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रांची : Maa Dewri temple : प्राचीन कालीन दिउड़ी मन्दिर में गुरुवार को आदिवासियों द्वारा तालाबंदी के खिलाफ व आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शुक्रवार को तमाड़ और बुंडू में लोगों ने बंद रखा। लोगों ने खुद से विरोध प्रकट करते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। इस दौरान प्रशासन भी चौकस रहा। वहीं रांची के हिंदू संगठनों ने भी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। दिउड़ी मंदिर वही मंदिर है जहां भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी  पूजा-अर्चना के लिए जाते रहे हैं।

Maa Dewri temple  : गैर आदिवासी संगठन ने जुलूस निकाल कर की नारेबाजी

देउड़ी मंदिर में तालाबंदी मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। प्रशासन ने कटर से ताला कटवाकर पूजा शुरू करा दी है। इसके बावजूद दिउड़ी मंदिर में तालाबंदी के विरोध में गैर आदिवासी संगठनों ने गुरूवार को देर शाम मशाल जुलूस निकाला और नारेबाजी की। गैर आदिवासी संगठनों ने ताला लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और गिरफ्तारी की मांग की है।

Maa Dewri temple : क्या है मामला

रांची के तमाड़ स्थित प्राचीन दिउड़ी मंदिर में गुरूवार की सुबह स्थानीय आदिवासियों ने ताला लगा दिया। जिसके कारण लगभग पांच घंटे तक पूजा बंद रही। प्रशासन ने पहल कर कटर से ताला काटवाकर पूजा शुरू करा दी। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। स्थानीय आदिवासी समुदाय का दावा है कि यह कोई हिंदू मंदिर नहीं है। इस मंदिर को दिउड़ी दिरी के नाम से जाना जाता है, जबकि यहां सैकड़ों वर्षो से देवी की पूजा होती आ रही है। गर्भगृह में प्राचीन 16 भुजाओं वाली देवी विराजमान हैं।

Maa Dewri temple  : क्यों कर रहे आदिवासी संगठन पूजा का विरोध

पिछले कई वर्षों से मंदिर के देखभाल और सारी व्यवस्थाएं वहां के कुछ स्थानीय लोगों द्वारा की जाती थी। माता को चढ़ाए गए प्रसाद व अन्य वस्तुओं का वितरण स्थानीय लोग आपस में कर लेते थे लेकिन वर्ष 2021 में मंदिर में बढ़ती भीड़ और मंदिर की व्यवस्थाओं के सफल संचालन के लिए सरकार द्वारा ट्रस्ट बनाया गया था। ट्रस्ट बनने के बाद से दान पेटी व माता को चढ़ाई जाने वाली धनराशि व प्रसाद का वितरण ट्रस्ट के व्यक्तियों को किया जाता था। ट्रस्ट के गठन के बाद से ही दोनों समुदाय के लोगों के बीच विवाद चल रहा था। तभी से स्थानीय आदिवासी संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया और मंदिर पर अपना दावा पेश करते रहे।

Maa Dewri temple मंदिर पर अपना स्थायित्व के लिए कोर्ट का भी खटखटाया दरवाजा

स्थानीय आदिवासी संगठन से अपना दावा पेश करने के लिए मामला कोर्ट में भी पेश किया। कोर्ट ने माना है कि यहां सैकड़ों वर्षों से मंदिर बना हुआ है और जमीन भी मंदिर के नाम पर है। मंदिर पर दावा करने वाले लोगों के सभी दावों को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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