भोपाल : आने वाले 25 दिसंबर को दुनियाभर में क्रिसमस का त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन इससे पहले मध्य प्रदेश में इस त्योहार को लेकर एक फरमान जारी हुआ है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने साफ शब्दों में कहा है कि ईसाई पर्व के मौके पर छात्रों को सांताक्लॉज बनाने से पहले स्कूलों को अभिभावकों से लिखित अनुमति लेनी होगी। बाल आयोग ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि यह कदम अप्रिय स्थिति से बचने के लिए उठाया गया है।
माता-पिता की अनुमति के बिना नहीं बना सकते सांता
दरअसल, क्रिसमस के मौके पर लगभग सभी स्कूलों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्टूडेंट्स भाग लेने के लिए सांताक्लॉज बनकर आते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग और प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को एक पत्र जारी किया है, जिसमें निर्देशित किया गया है कि किसी भी स्कूल को क्रिसमस के त्योहार पर, छात्रों को सांताक्लॉज की वेशभूषा में ढालने के लिए उनके माता-पिता से लिखित में अनुमति लेनी होगी।
स्कूलों पर हो सकती है कार्रवाई
आयोग ने स्कूली शिक्षा विभाग और सभी जिला कलेक्टरों को पत्र भेजकर यह निर्देश दिया है कि कोई भी स्कूल इस संबंध में बिना अभिभावकों की अनुमति के बच्चों को वेशभूषा में ढालने या किसी पात्र में शामिल करने का आयोजन न करें। इसके अलावा, यदि इस आदेश का उल्लंघन हुआ तो स्कूलों के खिलाफ सुसंगत कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी आ चुके है ऐसे आदेश
यह आदेश पिछले साल 2023 में जारी किए गए आदेश का पालन है, जब स्कूलों को बच्चों को किसी भी वेशभूषा में शामिल करने से पहले अभिभावकों की अनुमति लेने का निर्देश दिया गया था। अब यह देखना होगा कि इस आदेश का क्रिसमस के आयोजन पर क्या असर पड़ता है और क्या बच्चों को सांता की ड्रेस पहनाने की परंपरा प्रभावित होती है।
सांता ड्रेस खरीदने को करते है मजबूर
खबरों के अनुसार, कई बार शिकायतें आती हैं कि अभिभावकों को सांता ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश के बाद से राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के सभी स्कूलों में अब बिना माता-पिता की अनुमति के बच्चों को सांताक्लॉज नहीं बना सकेंगे।