जमशेदपुर: जमशेदपुर की रहने वाली 70 वर्षीय कांति देवी ने महाकुंभ में स्नान का संकल्प लिया और उसे पूरा करने के लिए प्रयागराज का रुख किया। कांति देवी अपनी बेटी, नतनी और नाती के साथ छायानगर में रहती हैं और परिवार चलाने के लिए कैटरिंग का काम करती हैं। इस वर्ष 2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ ने उनकी श्रद्धा को और प्रबल कर दिया। 24 जनवरी को उन्होंने अपने इलाके के 35 लोगों के साथ टाटानगर से प्रयागराज की यात्रा शुरू की। अगले दिन 25 जनवरी को संगम में डुबकी लगाई और अपने परिवार के लिए पवित्र जल भी लिया।
रेलवे स्टेशन पर भीड़ में बिछड़ीं कांति देवी
कुंभ स्नान के बाद जब सभी लोग घर लौटने की तैयारी कर रहे थे, तभी स्टेशन पर अत्यधिक भीड़ के कारण कांति देवी अपने समूह से बिछड़ गईं। उनका बैग, जिसमें कपड़े, खाने का सामान और 7000 रुपये नकद थे, उनके साथ नहीं था। ट्रेन उनकी आंखों के सामने निकल गई और वे स्टेशन पर अकेली रह गईं। उनके पास न तो पैसे थे, न ही फोन और न ही किसी से संपर्क का साधन।
कांति ने पैदल सफर का लिया साहसी निर्णय
इन हालातों में कांति देवी ने एक साहसी निर्णय लिया। उन्होंने फैसला लिया कि 700 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर जमशेदपुर लौटेंगे।
10 दिन संघर्ष में बीता
उम्र और स्वास्थ्य की चुनौतियों के बावजूद कांति देवी ने 25 जनवरी से अपनी पैदल यात्रा शुरू की। रास्ते में उन्होंने दिन में लोगों से थोड़ा-बहुत खाना मांगा और रात को जहां जगह मिली, वहीं सो गईं। बिना किसी साधन के उन्होंने लगातार 10 दिनों तक चलते हुए 700 किलोमीटर का सफर तय किया।
परिवार ने शुरू कर दी थी खोजबीन
कांति देवी के बिछड़ने की खबर से उनके परिवार में हड़कंप मच गया। परिवार के सदस्य अलग-अलग जगहों पर उनकी खोज में निकल पड़े। लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि कांति देवी पैदल ही घर लौटने का साहस करेंगी। 4 फरवरी को जब वे सुरक्षित अपने घर पहुंचीं, तो परिवार के लोग हैरान और भावुक हो गए।
श्रद्धा और विश्वास की कायम की मिसाल
कांति देवी ने कभी पूजा-पाठ में विशेष रुचि नहीं ली थी, लेकिन इस बार कुंभ स्नान का संकल्प उन्होंने दृढ़ता और विश्वास के साथ पूरा किया। उनकी कहानी यह साबित करती है कि यदि मन में दृढ़ निश्चय और भगवान पर भरोसा हो, तो इंसान हर मुश्किल को पार कर सकता है।