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Mahakumbh Stampede : महाकुंभ की भगदड़ पर ‘सुप्रीम’ सुनवाई आज, जानें क्या हैं जनहित याचिका के तर्क

महाकुंभ की भगदड़ के बाद वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में यह मांग की गई है कि भगदड़ की घटना पर स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

by Reeta Rai Sagar
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प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला के दौरान 29 जनवरी, 2025 को हुई भगदड़ ने कई लोगों की जान ले ली। इस घटना में करीब 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जिसके बाद सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर चिंता बढ़ गई है। अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज (3 फरवरी, 2025) होगी। यह सुनवाई सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच द्वारा की जाएगी।

पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) में उठाए गए मुद्दे

महाकुंभ की भगदड़ के बाद वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में यह मांग की गई है कि भगदड़ की घटना पर स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए सभी राज्यों को समन्वित प्रयास करने होंगे। याचिका में विशेष रूप से प्रयागराज में आवश्यक सुविधाओं के संचालन, सुरक्षा व्यवस्था, मेडिकल सुविधाओं और अन्य आवश्यक प्रबंधों की मांग की गई है।

महाकुंभ में सुरक्षा और सुविधाओं का मुद्दा

विशाल तिवारी की याचिका में मांग की गई है कि महाकुंभ मेले में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। 29 जनवरी को हुई भगदड़ में बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने और 30 लोगों की मौत होने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सुरक्षा प्रबंधों में भारी कमी थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह महाकुंभ किसी एक राज्य का आयोजन नहीं है, बल्कि देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इसलिए पूरे देश के राज्यों को इस आयोजन की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सभी राज्यों को अपने फैसिलिटेशन सेंटर स्थापित करने चाहिए, ताकि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई कठिनाई न हो।

गैर हिंदी भाषी श्रद्धालुओं के लिए समायोजन की जरूरत

याचिका में यह भी कहा गया है कि महाकुंभ में हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में भी डिस्प्ले और अनाउंसमेंट किए जाने चाहिए। देशभर से श्रद्धालु विभिन्न भाषाओं के साथ आते हैं, और हिंदी के प्रति उनकी समझ कम हो सकती है। ऐसे में अगर आपातकालीन अनाउंसमेंट किए जाते हैं, तो उन्हें सही तरीके से समझने में कठिनाई हो सकती है। इस लिहाज से याचिका में यह आग्रह किया गया है कि अन्य भाषाओं में भी जानकारी दी जाए, ताकि कोई भी श्रद्धालु आपातकालीन स्थिति में असमंजस में न हो।

मेडिकल सुविधाओं का विस्तार और वीआईपी मूवमेंट पर ध्यान

इसके अलावा याचिका में यह भी सुझाव दिया गया है कि महाकुंभ के दौरान सभी राज्यों के मेडिकल स्टाफ को वहां तैनात किया जाए। यह घटना दर्शाती है कि एक राज्य अकेले इतने बड़े आयोजन में पर्याप्त मेडिकल सहायता नहीं प्रदान कर सकता है। इसलिए सभी राज्यों को अपने मेडिकल स्टाफ की तैनाती करनी चाहिए, ताकि किसी भी स्थिति में उचित चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा सके।

इसके साथ ही याचिका में वीआईपी मूवमेंट को लेकर भी एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भगदड़ के बाद वीआईपी मूवमेंट के कारण स्थिति और भी जटिल हो गई थी। याचिका में मांग की गई है कि वीआईपी मूवमेंट के दौरान आम जनता को कोई परेशानी न हो, इसके लिए विशेष ध्यान दिया जाए।

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