मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जहां एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी से जुड़ा नया विवाद सामने आया है। आगामी शपथ ग्रहण समारोह के निमंत्रण पत्र में केवल देवेंद्र फडणवीस का नाम लिखा गया है, जबकि एकनाथ शिंदे का नाम गायब है, जिससे शिवसेना खफा हो गई है। इस मुद्दे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है, और शिंदे के डिप्टी सीएम के पद पर शपथ लेने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
शिंदे के शपथ पर अभी भी संशय
शिवसेना नेता दीपक केसरकर ने कहा कि शिंदे के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ लेने पर अभी भी स्पष्टता नहीं है। केसरकर ने इस पर बयान देते हुए कहा, “क्या शिंदे शपथ लेंगे या नहीं, यह वही जान सकते हैं। अगर वे सरकार में नहीं रहेंगे, तो हम सब में से कोई भी नहीं रहेगा।” उनका कहना था कि शिंदे केवल पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की बातों का अनुसरण करते हैं। अगर मोदी या शाह से कोई संदेश आता है, तो शिंदे उसे नकारेंगे नहीं।
शिंदे गुट की प्रतिक्रिया
शिंदे गुट के विधायक उदय सामंत ने कहा कि अगर शिंदे डिप्टी सीएम नहीं बनते, तो उनका गुट किसी भी मंत्री पद के लिए इच्छुक नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर शिंदे को पद नहीं मिलता, तो उनके गुट में से कोई भी मंत्री नहीं बनेगा।
महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार का नया समीकरण
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव परिणामों के बाद से मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुति गठबंधन में खींचतान जारी थी। बुधवार को इस विवाद का अंत हुआ, जब देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शिंदे ने कहा कि वे डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं, यह रात तक स्पष्ट होगा। थोड़ी देर बाद खबर आई कि शिंदे ने डिप्टी सीएम बनने के लिए सहमति दे दी है।
हालांकि, फडणवीस ने यह भी कहा कि शिंदे की सरकार में भूमिका पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए। “पद सिर्फ एक तकनीकी मामला है, हम तीनों मिलकर सरकार चलाएंगे,” फडणवीस ने कहा।
राजनीति में बदलाव के संकेत
हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए, यह कहना जल्दबाजी होगा कि सरकार का अगला कदम क्या होगा। महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक और जटिल मोड़ है, जहां हर दिन नई घटनाएं सामने आ रही हैं, और जो कभी भी बदल सकती हैं।