मुंबई : कल महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण समारोह होने वाला है और इसी के साथ महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे का भी अंत हो जाएगा। खबर है कि मुंबई के आजाद मैदान में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में केवल मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ही शपथ लेंगे। अन्य पर फैसला अभी बाकी है।
6-1 के फॉर्मूले पर होगी सत्ता की साझेदारी
हालांकि, अब तक महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से पहले, सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों के बंटवारे के लिए एक फार्मूला तय हो गया है। सत्ता की साझेदारी 6-1 के फॉर्मूले पर आधारित होगी, जिसका अर्थ है कि पार्टी के प्रत्येक छह विधायकों के लिए एक मंत्री पद दिया जाएगा।
बीजेपी 22, शिंदे गुट 12 और एनसीपी को मिल सकते है 10 मंत्री पद
फॉर्मूले के तहत 132 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी के पास सबसे अधिक मंत्री पद भी होंगे। इसके दो सहयोगियों- एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की ओर से भी एक लाभदायक सौदा किया गया है। संख्या पर नजर डालें, तो बीजेपी के खाते में 20 से 22 मंत्री पद हो सकते हैं।
एकनाथ शिंदे की पार्टी को 12 सीटें मिल सकती हैं और एनसीपी के अजित पवार गुट को 9-10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं। हालांकि, असली खींचतान गृह मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालय को लेकर हो सकती है, जिसे देवेंद्र फडणवीस वर्षों से संभालते आए हैं। शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट का तर्क है कि अगर उन्हें डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करना होगा, तो पोर्टफोलियो के जरिए मुआवजा चुकाना होगा।
एनसीपी भी चाहती है शिंदे के बराबर सीट शेयरिंग
इस बीच, खबर है कि अजित पवार की एनसीपी ने नई सरकार में शिंदे गुट के बराबर हिस्सेदारी की मांग कर दी है। एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा है कि उनका स्ट्राइक रेट बेहतर है और इसलिए उसी के अनुसार मंत्री पद दिया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के बाद से ही मुख्यमंत्री का पेंच अटका पड़ा है, ऐसे में महायुति के अन्य दलों की बढ़ती मांग से पार्टी में खलबली मची है। बुधवार को सीएम फेस का खुलासा हो जाएगा। हालांकि, अधिकांश लोग देवेंद्र फडणवीस पर दांव लगा रहे हैं। परिणाम घोषित होने के बाद से सत्तारूढ़ गठबंधन के तीनों दलों के नेताओं ने कहा है कि वे एक साथ बैठेंगे और इस मुद्दे पर फैसला लेंगे। लेकिन 10 दिन बाद भी कोई घोषणा नहीं हुई है, जिस पर विपक्ष ने निशाना साधा है।
फड़णवीस के नेतृत्व में बीजेपी ने पार्टी के लिए अब तक की सबसे अधिक 132 सीटें जीतीं, जबकि शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने 57 सीटें जीतीं। अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं। महायुति गठबंधन ने 288 में से 230 सीटों पर जीत दर्ज की थी।