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सीता सोरेन पर इरफान अंसारी की टिप्पणी को लेकर महिला कांग्रेस प्रमुख अलका लांबा बिफरीं, कानूनी कार्रवाई की मांग

by Anand Mishra
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नयी दिल्ली : अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की प्रमुख अलका लांबा ने झारखंड सरकार में मंत्री इरफान अंसारी द्वारा भाजपा की नेता सीता सोरेन के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है। लांबा ने इस घटना को लेकर कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि महिलाओं के प्रति अपराधों को लेकर कांग्रेस सरकार में सख्त कानून लागू हैं और ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

यह मामला तब सामने आया जब इरफान अंसारी ने 26 अक्टूबर को जामताड़ा विधानसभा सीट से अपने नामांकन के बाद सीता सोरेन के बारे में कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की। इस टिप्पणी के बाद, सीता सोरेन एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भावुक हो गईं और अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए रो पड़ीं। यह घटना न केवल राजनीतिक चर्चाओं का हिस्सा बनी, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और सम्मान पर भी सवाल उठाने लगी।

अलका लांबा ने संवाददाताओं से कहा, “पार्टी के भीतर का आदमी हो या बाहर का, अपराध को हमेशा अपराध के नजरिये से ही देखना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति मौखिक रूप से अपमान करता है या शारीरिक नुकसान पहुँचाता है, तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “निर्भया की घटना के बाद कांग्रेस सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में सख्त कानून बनाए हैं।”

लांबा ने स्पष्ट किया कि पार्टी इस तरह की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करती है। उन्होंने कहा, “हम इसकी निंदा करते हैं, इसका विरोध करते हैं और इस पर कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं।” उन्होंने इस मुद्दे पर निष्पक्ष कार्रवाई और उचित सजा सुनिश्चित करने की भी बात की।

यह घटनाक्रम एक बार फिर से इस बात की याद दिलाता है कि राजनीति में महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के मामले कितने महत्वपूर्ण हैं। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे अपने सदस्यों को महिलाओं के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाएं, ताकि ऐसे व्यवहारों को रोका जा सके।

सीता सोरेन की स्थिति ने इस मुद्दे को और गंभीरता से उठाया है, और यह स्पष्ट किया है कि महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ अस्वीकार्य हैं। लांबा का यह बयान दर्शाता है कि महिला कांग्रेस महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने के प्रति गंभीर है और इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए तैयार है।

इस घटना ने एक बार फिर राजनीतिक विमर्श में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की आवश्यकता को उजागर किया है, और यह समय की मांग है कि सभी राजनीतिक दल इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।

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