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मराठा आरक्षण विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा से पास, जानिए राज्य में अब आरक्षण की क्या है स्थिति..

by Rakesh Pandey
Maratha reservation
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पॉलिटिकल डेस्क : महाराष्ट्र में शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय (Maratha reservation) को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानमंडल के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों (विधानसभा और विधान परिषद) में महाराष्ट्र राज्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 पेश किया, जिसमें मराठों को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।

विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि एक बार आरक्षण लागू हो जाने पर 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है।

2.5 करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण

मराठा समाज को दस फीसदी आरक्षण के लिए महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। आयोग ने बीते शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर अपने सर्वेक्षण पर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। यह रिपोर्ट लगभग 2.5 करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण कर तैयार किया गया है। मंगलवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28 प्रतिशत है।

वहीं, कुल मराठा परिवारों में 21.22 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हैं, जिनके पास पीले राशन कार्ड हैं। जबकि, गरीबी रेखा के नीचे सामान्य श्रेणी के परिवार 18.9 प्रतिशत हैं।

क्या बोले सीएम शिंदे? (Maratha reservation)

सीएम शिंदे ने कहा, ”इस काम में उन कानूनी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है, जिन्होंने हाई कोर्ट में मराठा आरक्षण की जोरदार वकालत की है। एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया। हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायिक स्तरों पर मराठा समुदाय का आरक्षण कैसे बरकरार रखा जाएगा, इस पर सरकार और आयोग के बीच समन्वय बनाया गया।”

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ”हमने मराठा आरक्षण के पक्ष में बहस करने के लिए राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ परिषदों की एक सेना खड़ी की है। चार दिनों तक हमने मराठा समुदाय की स्थिति पर बहुत गंभीरता और धैर्य के साथ अपने विचार व्यक्त किए हैं। हमने मराठा आरक्षण को रद्द करते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया। मुझे विश्वास है कि सफलता मिलेगी।”

शिवाजी महाराज की सौगंध ली थी

सीएम एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में बिल पेश करते हुए कहा था कि इसमें महाराष्ट्र के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव है। मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए मैंने शिवाजी महाराज की सौगंध ली थी। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर मराठा समाज की भावना तीव्र है।

पीएम मोदी का एक मूल मंत्र है ‘सबका साथ सबका विकास’, उसी भावना को लेकर हमारी सरकार भी आगे बढ़ रही है। सीएम शिंदे ने कहा कि किसी भी समाज को भावना को ठेस न पहुंचाते हुए मराठा समाज को आरक्षण देने कि फैसला हमारी सरकार ने किया है।

क्या है मराठा आरक्षण बिल की प्रमुख बातें

मराठा समाज की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में भागीदारी कम है, इसलिए उनको पर्याप्त भागीदारी देने की जरूरत है। इसलिए मराठा समाज को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित करते हैं। सर्वे की रिपोर्ट से ये पता चलता है कि मराठा समाज सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। रिपोर्ट के अध्ययन से ये भी पता चलता है कि सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से मराठा समुदाय की पहचान निम्नतम है। मराठा समाज की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या की 28 फीसदी है।

कुल 52 फीसदी आरक्षण में कई बड़ी जातियां और वर्ग पहले से शामिल हैं, ऐसे में 28 फीसदी जनसंख्या वाले समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग में रखना असमानता होगी। इसलिए इस समाज को अलग से आरक्षण देने की जरूरत है।

आयोग की सिफारिशें

मराठा समुदाय को सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिकों के रूप में घोषित करने की सिफारिश की गई है। मराठा समुदाय को संविधान के अनुच्छेद 342C और अनुच्छेद 366(26C) के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में अधिसूचित करने की आवश्यकता है।

मराठा समुदाय को मौजूदा आरक्षित जाति से भिन्न और स्वतंत्र प्रतिशत का एक अलग सामाजिक घटक बनाने की आवश्यकता है। आरक्षण के लाभ की समय-समय पर हर दस साल में समीक्षा की जा सकती है। राज्य सरकार इसके लिए पर्याप्त प्रतिशत प्रदान कर सकती है।

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