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डॉक्टर बनना है तो गुस्से पर रखना होगा काबू, MBBS के नए कोर्स में समझिए इस बदलाव को

by Rakesh Pandey
MBBS Course
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हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर/MBBS Course: नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की ओर से जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज-अस्पताल में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है। इसमें भाग लेने के लिए एनएमसी के सदस्य सह कटक एससीबी मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. गीता साहू भी पहुंची हुई हैं।

उन्होंने कहा कि आज डॉक्टर व मरीजों के बीच बढ़ रहीं दूरियां चिंता का विषय बन गई हैं। इसे लेकर एनएमसी ने एमबीबीएस के कोर्स में कुछ बदलाव किया है, जिसे वर्ष 2022 से लागू कर दिया गया है। इसकी जानकारी छात्र-छात्राओं के साथ-साथ पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी दी जा रही है।

MBBS Course: एमबीबीएस छात्रों को अब एक परिवार को लेना होगा गोद

एनएमसी की सदस्य डॉ. गीता साहू ने बताया कि भावी चिकित्सकों की गुणवत्ता में सुधार करने को लेकर वर्ष 2022 से एमबीबीएस छात्रों को सोसाइटी से जोड़ने का कोर्स शुरू किया गया है। इसका मकसद संपूर्ण रूप से एक अच्छा डॉक्टर तैयार करना है। इसके माध्यम से चिकित्सकों के व्यवहार से लेकर उनके कार्य करने की शैली में बदलाव व सहानुभूति को बढ़ाना है। इन सभी विषयों को

कोर्स में शामिल किया गया है। परीक्षा में इससे संबंधित सवाल भी पूछे जाएंगे। अगर इसमें कोई छात्र फेल हुआ तो फिर उनका डॉक्टर बनना मुश्किल हो जाएगा। इसे अनिवार्य कर दिया गया है। पहले ऐसा नहीं था।

MBBS Course: इस तरह के पूछें जाएंगे सवाल

डॉ. गीता साहू ने बताया कि अब परीक्षा में एमबीबीएस छात्रों से पूछा जाएगा कि मरीज के साथ कैसे पेश आना है? अगर मरीज गुस्सा हो जाए तो उस परिस्थिति में क्या करना है? इलाज के क्रम में किसी मरीज की मौत हो जाए तो उसके परिजनों को किस तरह से हैंडल करना है? मरीज के परिजनों के साथ किस तरह का व्यवहार करना है? इन सभी सवालों पर नंबर मिलेगा। इन सभी की पढ़ाई कराई जाएगी और इसमें पास होना अनिवार्य होगा।

MBBS Course: एमजीएम के 30 चिकित्सकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

इस नए कोर्स को लेकर एनएमसी द्वारा एमजीएम के 30 चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें प्रोफेसर से लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और ट्यूटर तक शामिल हैं। इसका उद्देश्य पढ़ाने वाले चिकित्सकों को नए कोर्सों के बारे में जानकारी देना है, ताकि उसे सख्ती के साथ धरातल पर उतारकर संपूर्ण रूप से एक अच्छा डॉक्टर तैयार करना है। डॉ. गीता साहू ने यह भी बताया कि इसी क्रम में फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम (एफएपी) भी शुरू किया गया है।

इसके माध्यम से एमबीबीएस छात्र आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में किसी एक परिवार को गोद लेंगे और अगले पांच साल तक उसका ध्यान रखेंगे। इसमें भी नंबर निर्धारित किया गया है। इसके अलावा एमबीबीएस छात्रों को लॉग बुक भी तैयार करना होगा। इसमें सभी विषयों की जानकारी लिखनी होगी। इसे भी कोर्स में शामिल किया गया है और परीक्षा में सवाल पूछे जाएंगे। इसके आधार पर नंबर भी दिए जाएंगे।

 

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