सेंट्रल डेस्क, नई दिल्ली: विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में Mediation Bill 2023 पास कर दिया गया। इससे पहले 1 अगस्त को यह बिल राज्यसभा में पास हो चुका था। इस बिल के ड्राफ्ट पर बहस के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भारत जैसे प्राचीन देश के लिए यह कोई नया कांसेप्ट नहीं है। मेडिएशन की कई बातें हमारे यहां पहले से ही मौजूद हैं, जिनका कई प्राचीन ग्रंथों में किया जा चुका है।
गरीबों की समस्या दूर करेगा Mediation Bill 2023
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मेडिएशन बिल 2023 गरीबों की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही 70,000 केस पेंडिंग हैं, जबकि विभिन्न हाईकोर्ट में भी 60 लाख से ज्यादा मामले अभी पेंडिंग चल रहे हैं। इतना ही नहीं, जिला और सब ऑर्डिनेट कोर्ट की बात करें तो देश में करीब 4 करोड़ मामले पेंडिंग हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार का यही उद्देश्य है कि पेंडिंग मामलों का भार किसी तरह से कम किया जा सके। इस बिल के जरिए मेडिएशन सेंटर के माध्यम से लोगों को कानूनी सहायता दी जायेगी और यह कास्ट इफेक्टिव भी होगा।
क्या है Mediation Bill 2023 या मध्यस्थता विधेयक?
सामान्य शब्दों में, मध्यस्थता विधेयक का उद्देश्य किसी भी विवाद को अदालत या न्यायाधिकरण में जाने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से नागरिक और वाणिज्यिक विवादों को निपटाने का प्रयास करना है। इससे भारत में अदालती मामलों की संख्या कम होगी और लोगों को त्वरित न्याय भी मिलेगा।
मध्यस्थता विधेयक (Mediation Bill) 2023 कैसे फायदेमंद होगा?
यह विधेयक विवादों को सुलझाने के लिए संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देगा। चाहे वह व्यावसायिक विवाद हो या कोई अन्य मुद्दा, मध्यस्थता विधेयक विवादों को समझौते के जरिये शीघ्रता से सुलझाने पर केंद्रित होगा। यह मध्यस्थों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेगा। इससे सामुदायिक मध्यस्थों को बढ़ावा मिलेगा जो कम लागत पर लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करेंगे। यह विधेयक मुख्यतः न्यायालय के बाहर के विवादों को सुलझाने में सहायक सिद्ध होगा।