New Delhi : भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद उपजे युद्ध जैसे हालातों के बीच, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर शांति की पुरजोर अपील की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से सीधे बातचीत करें और इस बढ़ते खून-खराबे को तत्काल रोकें।
महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री मोदी के उस चर्चित बयान को याद दिलाया, जो उन्होंने यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में दिया था। उन्होंने कहा था, “यह युग युद्ध का नहीं, संवाद का है।” महबूबा ने इसी तर्क को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज भारत को भी उसी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “मोदी जी को तुरंत फोन उठाकर शहबाज शरीफ से बात करनी चाहिए। जब भारत ने यह दावा किया है कि उसने नौ आतंकी अड्डों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है, तो अब और खून क्यों बहाया जा रहा है?”
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 27 पर्यटकों की दर्दनाक मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। पाकिस्तान की ओर से भी ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिशें की गईं, जिन्हें भारतीय सेना ने कुशलतापूर्वक नाकाम कर दिया। इस घटनाक्रम ने सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी है।
महबूबा मुफ्ती ने इस युद्ध जैसे माहौल में महिलाओं और मासूम बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इन निर्दोष नागरिकों का इस संघर्ष में कोई दोष नहीं है और उन्हें निशाना बनाना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सैन्य कार्रवाई कभी भी समस्या की जड़ तक नहीं पहुंचती है, और इसका स्थायी समाधान केवल राजनीतिक संवाद के माध्यम से ही संभव है।
उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को परमाणु शक्ति संपन्न बताते हुए चेतावनी दी कि यदि परमाणु हथियारों का उपयोग किया जाता है, तो पूरा क्षेत्र विनाश की कगार पर पहुंच जाएगा। उन्होंने पुलवामा और बालाकोट की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन सैन्य कार्रवाइयों के बाद भी क्षेत्र में शांति स्थापित नहीं हुई। इसलिए, आज यह अत्यंत आवश्यक है कि दोनों देश बातचीत की मेज पर आएं और इस बढ़ते तनाव को कम करने का प्रयास करें।
महबूबा मुफ्ती की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है और सीमा पर युद्ध की आशंकाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से आग्रह किया है कि वे कूटनीतिक रास्तों को अपनाएं और क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए मिलकर काम करें।
महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता को सबसे ज्यादा नुकसान इस तनाव का उठाना पड़ता है, और वह शांति की ही पक्षधर है। उनकी यह अपील क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह देखना होगा कि दोनों देशों के नेता इस पर किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं।