Jamshedpur : जमशेदपुर के साकची स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अस्पताल की जर्जर बिल्डिंग का एक हिस्सा ढहने से अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में पूर्वी सिंहभूम जिले के भवन निर्माण और एमजीएम अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं। कई अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। सवाल उठ रहा है कि समय रहते भवन निर्माण विभाग के इंजीनियरों ने बिल्डिंग को कंडम घोषित क्यों नहीं किया। अस्पताल प्रबंधन क्या कर रहा था।
मृतकों की पहचान गोविंदपुर के लुकास साइमन तिर्की, साकची निवासी डेविड जोनसन और सरायकेला के श्रीचंद तांती के रूप में हुई है। श्रीचंद तांती की मां रेणुका देवी की हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें टीएमएच अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटना के समय बिल्डिंग में कुल 15 लोग मौजूद थे। एनडीआरएफ की टीम ने टाटा स्टील और जिला प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य चलाया और तीन शवों को मलबे से बाहर निकाला गया।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने भी घटनास्थल का दौरा किया और भरोसा दिलाया कि दोषियों पर सख्त कार्रवाईकी जाएगी।
विपक्ष का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा केवल घटना के बाद की औपचारिकता है। कांग्रेस के भीतर से भी आवाजें उठ रही हैं कि इंजीनियरिंग विंग और अस्पताल प्रबंधन ने समय रहते बिल्डिंग को खाली क्यों नहीं कराया।
फिलहाल, मामले की जांच का जिम्मा जिला उपायुक्त को सौंपा गया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।