रांची : Micnong: जैसा पूर्वानुमान लगाया गया था, वैसा ही हो रहा है। चक्रवाती तूफान के कारण पिछले दो दिन से राजधानी समेत पूरे राज्य के मौसम में लगातार बदलाव देखा जा रहा है। रांची में लगातार हो रही बूंदाबांदी से ठंड का असर सड़कों पर साफ नजर आ रहा है जब लोग बदन पर गर्म कपड़े और हाथ-मुंह ढककर निकल रहे हैं। दिनभर सूर्यदेव के दर्शन नहीं होने और हल्की हवा के बहाव ने ठंड का असर बढ़ा दिया है।
छाए रह रहे बादल, लगातार हो रही बूंदाबांदी
झारखंड के कई इलाकों में आंशिक रूप से बादल छाए हुए हैं। लगातार बूंदाबांदी से लोग बेहाल हो रहे हैं। बूंदाबांदी के कारण रांची व आसपास के जिलों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है।
वैसे तो चक्रवात का असर रांची में मंगलवार की देर शाम से दिखने लगा था जब मंगलवार की रात में ही बूंदाबांदी होने लगी थी। रात के बाद गुरुवार की सुबह से हल्की वर्षा के कारण तापमान में भी गिरावट जारी है। इस कारण ठंड भी बढ़ गई है।
7 दिसंबर तक रहेगा असर, 8 को खुलेगा मौसम
मौसम विज्ञान केंद्र रांची के मुताबिक चक्रवात का असर 7 दिसंबर तक रहने की संभावना है। इसके अगले दिन यानि 8 दिसंबर को मौसम खुल सकता है। मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद ने कहा कि मौसम में अचानक यह बदलाव बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से में उठे चक्रवाती तूफान मिचौंग के कारण हुआ है।
मौसम विभाग की ओर से यलो अलर्ट भी जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि 9 दिसंबर के बाद आसमान से बादल छंटने के बाद न्यूनतम तापमान में काफी गिरावट होगा और कंपकंपी बढ़ेगी।
9 दिसंबर से और बढ़ेगी कंपकंपी, छाएगा कुहासा
आगामी नौ दिसंबर से तापमान में और गिरावट होगी। कंपकंपी बढ़ेगी। साथ ही कुहासा व धुंध का असर भी बढ़ने लगेगा। बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से में उठे चक्रवाती तूफान मिचौंग का ही असर है जिससे झारखंड के मौसम में यह बदलाव नजर आ रहा है।
7 दिसंबर यानि आज राज्य के दक्षिणी इलाकों में कही-कही हल्की वर्षा की संभावना है। कहीं-कहीं गर्जन व वज्रपात होने की भी संभावना है। इसे लेकर मौसम विभाग की ओर से यलो अलर्ट जारी किया गया है।
धान की फसल को पहुंच सकता है नुकसान
कृषि विज्ञानी डा. एसके पाल बताते हैँ कि किसानों को इस चक्रवात के असर से फसलों के बचाव के लिए प्रबंधन कर लेना चाहिए। रबी फसल के लिए यह वर्षा उपयुक्त है जबकि पूर्व से खेतों में लगी खरीफ फसल को नुकसान पहुंच सकता है।
आलू की खेती करने वाले किसानों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। फसल पर झुलसा रोग का प्रभाव हो सकता है। रबी फसलों में गेहूं, चना, सरसों, मटर, मसूर के लिए यह वर्षा लाभदायक साबित होगी।
सर्वाधिक वर्षा सिमडेगा के कुर्देग में
पिछले 48 घंटे के मौसम की बात करें तो राज्य में कई स्थानों पर वर्षा हुई है। मंगलवार को सबसे अधिक 22.8 मिमी वर्षा सिमडेगा के कुर्देग में रिकार्ड की गई। सबसे अधिक तापमान 28.9 डिग्री गोड्डा का जबकि सबसे कम तापमान 16.2 डिग्री रांची का रिकार्ड किया गया। रांची का अधिकतम तापमान 20.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
ऐसा रहेगा राज्य का मौसम :
7 दिसंबर : राज्य में कई स्थानों पर हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा
8 दिसंबर : राज्य में अधिकांश जगहों पर आंशिक बादल छाए रह सकते हैं, मौसम शुष्क रहेगा
9 दिसंबर : राज्य में अधिकांश जगहों पर आंशिक बादल छाए रह सकते हैं, मौसम शुष्क रहेगा
10 दिसंबर : आसमान मुख्यत: साफ रहेगा और मौसम शुष्क रहेगा।
ऐसा रहेगा रांची का मौसम :
7 दिसंबर : बादल छाए रहेंगे, दो या अधिक बार हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा की है संभावना, अधिकतम 21 डिग्री और न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस तापमान
8 दिसंबर : आंशिक बादल छाए रहेंगे, मौसम शुष्क बना रहेगा, अधिकतम 23 डिग्री और न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस तापमान
9 दिसंबर : आसमान मुख्यत: साफ रहेगा, मौसम शुष्क बना रहेगा, अधिकतम 24 डिग्री और न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस तापमान
10 दिसंबर : आसमान मुख्यत: साफ रहेगा, मौसम शुष्क बना रहेगा, अधिकतम 24 डिग्री और न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस तापमान।
धान की तैयार फसल को अविलंब खलिहान में करें भंडारण :
मिचौंग के कारण हो रही वर्षा से धान की तैयार फसलों को नुकसान होने की आशंका है। ऐसे में फसलों की कटाई के बाद उसे खेतों में छोड़ना नुकसानदेह हो सकता है। किसानों को धान के भंडारण की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। बिना कटाई वाले धान की फसल को भी जितना जल्दी हो सके उसे काटकर भंडारण कर लेना चाहिए। आलू का बीज लगाने से पहले किसान इसे रेडोमिल 278 से उपचारित कर लें।
इसकी फसल को झुलसा से बचाने के लिए खेत में धुआं करें। वहीं मसूर के लिए किसान बीज को वैविस्टीन 2.5 और क्लोरिफारीफाश से उपचारित कर बुआई करें। इसमें राइजोबियम ट्राइकोड्रर्मा मिलाएं। सरसों की खेती करने वाले किसान कृषि विज्ञानी से सलाह से कीट प्रबंधन करें। वहीं लतरदार सब्जियों की खेती करने वाले किसान खेतों में जलजमाव न हो इसके लिए प्रबंधन करें।
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
धान की तैयार फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचने की आशंका है। खेतों में काटकर रखी गई धान की फसल वर्षा के कारण खराब हो सकती है। धान को अविलंब उठाकर सुरक्षित स्थान पर भंडारण कराएं। आलू की खेती करने वालों को भी अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।फसल पर झुलसा रोग का प्रभाव हो सकता है।
– डा. एसके पाल, पूर्व कृषि विज्ञानी, बीएयू रांची।
मिचौंग के कारण मौसम में बदलाव हुआ है। 9 दिसंबर के बाद राजधानी समेत आसपास के जिलों में तापमान में गिरावट हाेगी। कुहासा व धुंध का भी असर देखने को मिलेगा।
: अभिषेक आनंद, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केंद्र रांची।