सेंट्रल डेस्क। एयर इंडिया की फ्लाइट AI 2957 ने सोमवार रात दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी। इसके बाद एक आपातकालीन अलर्ट एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को प्राप्त हुआ, जिसमें यह संकेत दिया गया कि विमान को संभावित रूप से हाइजैक कर लिया गया है, जिससे सुरक्षा प्रोटोकॉल का सिलसिला शुरू हो गया। इस दौरान कई सुरक्षा एजेंसियों, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स और मिलिट्री फोर्सेस को इस आपातकाल की जांच में शामिल किया गया।
ATC ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और भारतीय वायु सेना, दिल्ली पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) को सूचित किया गया। एक विशेष समिति का गठन किया गया और भारतीय वायु सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया। लेकिन पायलट ने जल्दी ही ATC को सूचित किया कि यह केवल एक झूठा अलर्ट था और विमान सामान्य रूप से उड़ान भर रहा था। अधिकारियों ने सतर्कता बरती और जोखिम नहीं लिया क्योंकि मुख्य चिंता यह थी कि पायलट दबाव में हो सकता था और उसने झूठा अलर्ट दिया हो सकता है।
जांच के बाद दी गई यात्रियों को उतरने की अनुमति
विमान रात 9:47 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंड हुई, जहां एक पूर्ण आपातकाल घोषित किया गया और सभी स्थानीय पुलिस बलों, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) भी शामिल था, को तैनात किया गया। विमान को एक अलग क्षेत्र में पार्क किया गया, जहां उसकी पूरी तरह से जांच की गई। जब यह सुनिश्चित नहीं किया गया कि विमान में कोई खतरा नहीं था, इसके बाद ही यात्रियों को उतरने की अनुमति दी गई।
क्यों हुआ झूठा अलर्ट
ऐसे में अब जांचकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह झूठा अलर्ट क्यों हुआ। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा जांच शुरू की गई है और BCAS और CISF की भी इसमें भागीदारी है। एक संभावित तकनीकी गड़बड़ी पर विचार किया जा रहा है, हालांकि आधिकारिक कारण केवल जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।