नई दिल्ली : Minimum Age to Contest Election पर नए सिरे से बहुत शुरू हो गए हैं। लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष करने की सिफारिश कानून एवं कार्मिक संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने की है। इस समिति ने कहा है कि इससे अधिक से अधिक युवाओं को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने का समान अवसर मिलेगा।
मौजूदा समय में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम आयु सीमा 25 साल है। वहीं, राज्यसभा और राज्य विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 साल है। जबकि देश में वोट देने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम आयु सीमा 18 साल है।
Minimum Age to Contest Election को लेकर समिति ने किस आधार पर की सिफारिश
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की प्रथाओं की जांच करने के बाद, समिति का मानना है कि राष्ट्रीय चुनावों में Minimum Age to Contest Election 18 वर्ष होनी चाहिए। इस समिति ने अपने रिपोर्ट में इन देशों के उदाहरण दर्शाते हुए कहा है कि युवा विश्वसनीय और जिम्मेदार राजनीतिक भागीदार हो सकते हैं। अगर वे 18 वर्ष में वोट डाल सकते हैं तो चुनाव भी लड़ने की अनुमति मिलीन चाहिए।
सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने दिया है सुझाव :
Minimum Age to Contest Election को लेकर यह सुझाव बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने दिया है। इसमें लोकसभा के साथ साथ विधानसभा चुनावों में भी न्यूनतम आय़ु कम करने की सिफारिश की है। समिति ने पाया है कि चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु सीमा कम करने से युवाओं को लोकतंत्र में शामिल होने के अवसर मिलेंगे।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक प्रथाओं, युवाओं में बढ़ती राजनीतिक चेतना और युवा प्रतिनिधित्व के फायदों जैसे बड़ी मात्रा में सबूतों से इस नजरिए की पुष्टि होती है।
समिति के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है चुनाव आयोग
चुनाव लड़ने के लिए आयु सीमा घटाने पर चुनाव आयोग भी विचार कर चुका है। आयोग ने पाया था कि 18 वर्ष की आयु में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी उठाने के लिए आवश्यक अनुभव और परिपक्वता की उम्मीद करना सही नहीं है। इसके लिए अनुभव की जुरूरत होती है, जो इस उम्र में नहीं आती है। आयोग ने वर्तमान आयु सीमा को सही ठहराया है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है।
रिपोर्ट में फिनलैंड मॉडल का जिक्र
Minimum Age to Contest Election को लेकर की गई सिफारिश वाली समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग ने पहले ही संसद, राज्य विधानमंडल और स्थानीय निकायों में मतदान करने और चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु को समान करने के मुद्दे पर विचार किया है। आयोग संसद और राज्य विधानसभाओं की सदस्यता के लिए आयु की आवश्यकता को कम करने के पक्ष में नहीं है और अभी भी इस दृष्टिकोण पर कायम है।
समिति ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग और सरकार को युवाओं को राजनीतिक भागीदारी के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करने के लिए व्यापक नागरिक शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके साथ ही ‘फिनलैंड के नागरिकता शिक्षा के सफल मॉडल’ को अपनाने की सलाह भी दी है।
झूठा चुनावी हलफनामा दाखिल करने पर सजा दो साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव :
भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली कानून एवं कार्मिक संबंधी स्थायी समिति ने कहा कि गलत चुनावी हलफनामा दायर करने की सजा को मौजूदा छह महीने से बढ़ाकर अधिकतम दो साल किया जाना चाहिए। हालांकि, समिति ने यह भी कहा कि सजा को सिर्फ असाधारण मामलों में ही लागू किया जाए, न कि छोटी त्रुटियों या अनजाने में हुई गलतियों के लिए।