नई दिल्ली : मोदी सरकार ने एक अप्रैल से ऑनलाइन विज्ञापनों पर लगाए गए इक्वलाइजेशन लेवी या डिजिटल टैक्स को खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया है। यह बदलाव सरकार ने सोमवार को संसद में पेश किए गए वित्त विधेयक के तहत किया है। इससे डिजिटल प्लेटफार्म जैसे गूगल, एक्स और मेटा पर विज्ञापन देने वाली कंपनियों को फायदा होगा।
इस बदलाव के तहत, एक अप्रैल, 2025 से ऑनलाइन विज्ञापनों पर छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी को समाप्त कर दिया जाएगा। यह लेवी पहली बार 1 जून, 2016 को लागू की गई थी। वित्त विधेयक के संशोधनों के अनुसार, एक अप्रैल, 2025 से यह लेवी खत्म हो जाएगी।
इक्वलाइजेशन लेवी के बारे में बात करें तो यह वित्त अधिनियम 2016 द्वारा ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं, डिजिटल विज्ञापन स्थान, या केवल ऑनलाइन विज्ञापन के लिए अन्य सुविधाओं के लिए लागू की गई थी। वित्त अधिनियम 2020 में इसे ई-कामर्स आपूर्ति और सेवाओं पर भी लागू कर दिया गया था। इससे पहले, ई-कामर्स लेनदेन पर दो प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी 1 अगस्त, 2024 से खत्म कर दी गई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव का उद्देश्य अमेरिका के प्रति एक अधिक उदार रुख दिखाना है। दरअसल, अमेरिका ने दो अप्रैल से पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी दी थी, और इस फैसले से सरकार अमेरिका के साथ अपने संबंधों में सुधार की कोशिश कर रही है।
डेलाइट इंडिया के पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा कि सरकार का यह कदम आयकर कानून को सरल बनाने की दिशा में एक कदम है। एकेएम ग्लोबल टैक्स के पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि अमेरिका ने दो प्रतिशत शुल्क को लेकर अधिक आलोचना की थी, और अब सरकार इसका समाधान करने की कोशिश कर रही है।
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