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MOHAN BHAGWAT : पहले आए PM मोदी, फिर नड्डा.. अब आज बिहार आ रहे मोहन भागवत, जानें क्यों

by Rakesh Pandey
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सुपौल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ. मोहन राव भागवत 6 मार्च को बिहार के सुपौल जिले के वीरपुर में पांच दिवसीय दौरे पर पहुंचेंगे। वे 5 मार्च शाम को मुजफ्फरपुर पहुंचेंगे। इस दौरे के दौरान, वे सरस्वती विद्या मंदिर के नए भवन का उद्घाटन करेंगे और इसके साथ ही आरएसएस कार्यकर्ताओं और अन्य संगठनों के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे। भागवत हिंदुत्व, शिक्षा और सामाजिक एकता जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जो उनके दौरे के प्रमुख एजेंडे में शामिल हैं।

बिहार में बढ़ी आरएसएस और बीजेपी की सक्रियता

यह दौरा विशेष रूप से विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी और आरएसएस ने बिहार में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। भागवत का यह दौरा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रतीत होता है। इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बिहार का दौरा कर चुके हैं, जिससे राज्य में चुनावी माहौल गरम हो गया है। ऐसे में, मोहन भागवत का सुपौल में आगमन बीजेपी और आरएसएस की राजनीतिक और सामाजिक रणनीति का हिस्सा प्रतीत हो रहा है।

भागवत का पहला बिहार-नेपाल सीमा दौरा

डॉ. मोहन भागवत का यह दौरा इसलिए भी खास है, क्योंकि यह उनका पहला मौका होगा जब वे भारत-नेपाल सीमा पर किसी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इस यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 6 मार्च को सुबह 11:30 बजे मोहन भागवत वीरपुर पहुंचेंगे और 1 बजे से कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। अपने भाषण के बाद, वे 2:30 बजे स्वयंसेवकों के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान वे संघ कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के साथ-साथ हिंदुत्व और राष्ट्र निर्माण के मुद्दों पर भी विचार साझा करेंगे।

विद्या भारती के शिक्षा कार्यक्रम पर जोर

आरएसएस के इस प्रमुख दौरे के केंद्र में शिक्षा और राष्ट्र निर्माण का संदेश है। विद्या भारती के बिहार क्षेत्र संगठन मंत्री ख्याली राम ने इस बात पर जोर दिया कि भागवत का वीरपुर में आना “हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है।” उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के आगमन से यह संदेश जाएगा कि हिंदुत्व के सबसे बड़े चिंतक और मार्गदर्शक हमारे बीच आ रहे हैं। इस दौरे से सीमावर्ती इलाकों में शिक्षा के महत्व को भी बढ़ावा मिलेगा और समाज में एकता और सद्भावना का संदेश जाएगा।

आरएसएस कार्यकर्ताओं में उत्साह

सुपौल में आरएसएस कार्यकर्ताओं में इस दौरे को लेकर खासा उत्साह है। संघ के कार्यकर्ता मोहन भागवत के स्वागत के लिए जोरदार तैयारी कर रहे हैं, ताकि यह कार्यक्रम ऐतिहासिक रूप से सफल हो सके। ख्याली राम ने यह भी कहा कि सीमा क्षेत्र में इस तरह के आयोजनों से समाज में एकजुटता और राष्ट्रीयता के प्रति जागरूकता फैलेगी, जो पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा।

पांच दिवसीय दौरे का कार्यक्रम

डॉ. मोहन भागवत का यह बिहार दौरा 5 मार्च से शुरू हो चुका है। वह पहले पटना पहुंचे, जहां उन्होंने आरएसएस के पूर्व विभाग संघचालक और विश्व संवाद केंद्र के पूर्व अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह के घर पर जाकर उनके परिजनों से मुलाकात की। इसके बाद, वह मुजफ्फरपुर स्थित संघ कार्यालय में रात्रि विश्राम करेंगे।

6 मार्च को मोहन भागवत वीरपुर से सुपौल जाएंगे, जहां वे सरस्वती विद्या मंदिर के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद, 7, 8 और 9 मार्च को वे मुजफ्फरपुर में कार्यकर्ताओं की बैठक में भाग लेंगे। 9 मार्च को उनका यह पांच दिवसीय दौरा समाप्त हो जाएगा और वे नागपुर के लिए प्रस्थान करेंगे।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में बढ़ेगी महत्वपूर्ण भूमिका

मोहन भागवत का यह दौरा न केवल आरएसएस के लिए बल्कि बिहार की राजनीति के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले यह दौरा एक रणनीतिक कदम है, जो बीजेपी और आरएसएस की रणनीतिक सक्रियता को दर्शाता है। राज्य में संघ की उपस्थिति को मजबूत करने और हिंदुत्व के संदेश को फैलाने के प्रयास के तहत यह दौरा एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

इस दौरे के माध्यम से मोहन भागवत न केवल संघ के कार्यकर्ताओं को प्रेरित करेंगे, बल्कि इस दौरान होने वाली चर्चा बिहार की राजनीतिक और सामाजिक दिशा को भी प्रभावित कर सकती है। इस दौरे के बाद, राज्य में राजनीतिक माहौल और भी तेज हो सकता है और आरएसएस की गतिविधियां भी और अधिक सशक्त हो सकती हैं।

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