न्यूयार्क : दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित तबला वादक, जाकिर हुसैन को बृहस्पतिवार को सैन फ्रांसिस्को में अंतिम विदाई दी गई। उनका निधन सोमवार को फेफड़ों की बीमारी ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ के कारण हुआ था। उनके अंतिम संस्कार में प्रसिद्ध तालवादक शिवमणि और अन्य कलाकारों ने तबला वादन कर जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि दी, जिससे माहौल संगीतमय बन गया।
संगीत की दुनिया को अपूरणीय क्षति
तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन 73 वर्ष की आयु में हुआ। उनका निधन सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में हुआ था, जहां उन्हें फेफड़ों की बीमारी के कारण इलाज चल रहा था। हुसैन के अंतिम संस्कार के दौरान उनके प्रशंसकों की बड़ी संख्या वहां मौजूद थी। सैन फ्रांसिस्को के फर्नवुड कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जबकि शिवमणि और अन्य संगीतकारों ने तबला वादन कर उनकी आत्मा को शांति की कामना की।
शिवमणि की भावपूर्ण श्रद्धांजलि : ‘ताल ही ईश्वर है’
तालवादक शिवमणि ने अपने इमोशनल शब्दों में कहा, “ताल ही ईश्वर है, और आप, जाकिर भाई, वही ताल हैं। हमारे साथ आपके सफर की शुरुआत 1982 में हुई थी, और इस दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा। आप हमेशा हमारे साथ थे, जब भी हम लय पकड़ते थे। हम आपसे बहुत प्यार करते हैं, जाकिर भाई। आपकी यात्रा सुखमय हो और कृपया हमारे उस्तादों को मेरा प्रणाम कहना।”
जाकिर हुसैन का संगीत में योगदान
जाकिर हुसैन का करियर भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में अनमोल था। उन्होंने तबले को भारतीय संगीत की पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालकर जैज और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में भी अपनी पहचान बनाई। हुसैन को उनके छह दशकों के करियर में चार ग्रैमी पुरस्कार मिले। उन्होंने 1973 में जॉन मैकलॉघलिन, एल. शंकर और विक्कु विनायकराम जैसे दिग्गजों के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज का ‘फ्यूजन’ पेश किया, जो संगीत प्रेमियों के लिए आज भी एक अनमोल धरोहर है।
सम्मान और पुरस्कार
जाकिर हुसैन को उनके संगीत योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। 1988 में उन्हें ‘पद्मश्री’, 2002 में ‘पद्मभूषण’ और 2023 में ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित किया गया। हुसैन की संगीत यात्रा न केवल भारतीय संगीत के लिए, बल्कि दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही।
सोशल मीडिया पर शोक की लहर
जाकिर हुसैन के निधन की खबर जैसे ही फैली, सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति लाने वाला एक सच्चा प्रतिभाशाली कलाकार बताया। ग्रैमी पुरस्कार विजेता संगीतकार रिकी केज ने उन्हें उनकी विनम्रता और मिलनसार स्वभाव के लिए याद किया।