Home » MUMBAI ATTACKS : 26/11 हमले के आरोपी को क्यों सता रहा मृत्यु का डर, प्रत्यर्पण रोकने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से की अपील

MUMBAI ATTACKS : 26/11 हमले के आरोपी को क्यों सता रहा मृत्यु का डर, प्रत्यर्पण रोकने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से की अपील

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलेना कागन ने इस महीने की शुरुआत में प्रत्यर्पण रोकने की याचिका खारिज कर दी थी। अब, तहव्वुर राणा ने अपनी अपील को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजने की मांग की है

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

सेंट्रल डेस्क : मुंबई में आतंकी हमलों के इस आरोपी की लगातार कोशिश है कि उसे भारत को न सौंपा जाए। 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा ने अपने भारत प्रत्यर्पण को रोकने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष अपील दायर की है। राणा ने भारत में उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
दरअसल, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलेना कागन ने इस महीने की शुरुआत में उसकी याचिका खारिज कर दी थी। अब, राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से अपनी अपील को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजने की मांग की है, ताकि उसकी याचिका पर आगे सुनवाई की जा सके।

राणा ने कहा-भारत प्रत्यर्पण पर मौत का खतरा

राणा ने अपनी अपील में यह तर्क दिया कि यदि उसकी याचिका पर तत्काल विचार नहीं किया गया और भारत में प्रत्यर्पण के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ती है, तो वह बहुत जल्द मृत्यु के कगार पर पहुंच जाएगा। राणा का कहना है कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो वहां उसके जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता है, और वह भारत में अपने खिलाफ चलाए जा रहे मुकदमे का सामना करने के लिए जीवित नहीं रह पाएगा।

यातना का बताया खौफ

राणा ने अपनी अपील में यह भी दावा किया कि उसे भारत में यातना दी जा सकती है क्योंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है। राणा का कहना है कि उसकी मुस्लिम पहचान, पाकिस्तानी मूल और पाकिस्तानी सेना में पूर्व सदस्य होने के कारण उसकी स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। 2008 में हुए मुंबई हमलों से जुड़े आरोपों के चलते उसे अन्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक यातना का सामना करना पड़ सकता है।

राणा के स्वास्थ्य का मुद्दा

तहव्वुर राणा ने अपनी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति का भी उल्लेख किया है, जो उसने अपनी अपील में प्रमुख रूप से उठाया। उसने कहा कि उसके स्वास्थ्य के कारण उसे लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना कम है और यह भारत में प्रत्यर्पण और मुकदमा चलाने में उसकी मुश्किलों को बढ़ा सकता है।

ट्रंप प्रशासन ने की थी प्रत्यर्पण की घोषणा

इससे पहले, फरवरी 2020 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की घोषणा की थी। ट्रंप ने कहा था कि राणा को न्याय के कटघरे में लाकर उसकी सजा सुनिश्चित की जाएगी। अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह भी कहा था कि राणा को भारत में न्यायालय द्वारा दिए गए दंड का सामना करना होगा, ताकि उसे इस अपराध की सजा मिल सके।

तहव्वुर राणा का आतंकवाद से जुड़ा इतिहास

तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक है और उसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से कथित संबंधों के लिए जाना जाता है। राणा का नाम 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमेन हेडली के साथ जोड़ा गया है। हेडली के साथ राणा का सहयोगी संबंध था, जिसने मुंबई हमलों की साजिश रची थी। राणा एक चिकित्सक और व्यवसायी भी है। उसकी संदिग्ध गतिविधियों के कारण उसे एक आतंकवादी के रूप में पहचाना गया है।

भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण प्रक्रिया

तहव्वुर राणा का मामला भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण समझौते का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। भारत ने कई बार अमेरिकी अधिकारियों से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की है, क्योंकि उसे 26/11 हमलों में शामिल होने के आरोप में भारत लाकर उसे न्याय दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। भारत का यह भी कहना है कि राणा के खिलाफ मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए गंभीर आरोप हैं, और उसे भारत में मुकदमा चलाने की आवश्यकता है।

राणा के स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बावजूद, भारत और अमेरिका की सरकारें इस मामले में मिलकर काम कर रही हैं ताकि उसे उचित न्याय मिल सके और उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सके।

Read Also- Israeli Army : इजरायली सेना ने गाजा पर किए ताबड़तोड़ हमले, 20 फलस्तीनी की मौत

Related Articles