New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में मुंद्रा पोर्ट ड्रग्स बरामदगी मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी व्यापारी कबीर तलवार की जमानत याचिका पर बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आरोपी के बच्चों को स्कूल में ‘आतंकवादी के बच्चे’ कहकर बुलाया जा रहा है और उन्हें धमकी भरे कॉल मिल रहे हैं।
NDPS Act केस को पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ने पर आपत्ति
वरिष्ठ अधिवक्ता ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट मामले को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एनआईए द्वारा दी गई दलीलों के आधार पर समाचार रिपोर्ट्स में ड्रग्स केस और आतंकी घटना को जोड़कर दिखाया गया, जिससे आरोपी के बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है।
‘बच्चों को धमकाया जा रहा है, उन्हें वापस लाना पड़ा’
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम ने कहा, ‘बच्चों को स्कूल में धमकाया जा रहा है और उन्हें “आतंकवादी के बच्चे” कहा जा रहा है। स्कूल में उन्हें धमकी भरे कॉल भी मिल रहे हैं, जिससे उन्हें वापस लाना पड़ा’।
अदालत ने जताई चिंता, ASG ने मांगी माफी
इस पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘कोई भी परिवार का सदस्य परेशान नहीं होना चाहिए, पुलिस इसकी देखभाल करेगी’। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने इस मामले में खेद प्रकट किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समाचार रिपोर्ट्स में जांच से संबंधित जानकारी दी गई थी, जिसमें बताया गया कि ड्रग्स से होने वाली आय लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को भेजी जा रही थी।
लश्कर को फंडिंग का दावा, NDPS केस में गंभीर आरोप
ASG ने अपनी दलील में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में जब्त ड्रग्स की कीमत ₹2,100 करोड़ से अधिक है और यह धनराशि आतंकी संगठनों को फंडिंग के लिए उपयोग में लाई जा रही है। उन्होंने कहा, ‘वे भले ही खुद को सिर्फ ड्रग व्यापार का हिस्सा मानते हों, लेकिन निर्दोषों के खून का बोझ उनके कंधों पर है’।
कोर्ट ने कहा – ‘यह जमानत पर निर्णय का आधार नहीं’
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यह मुद्दा जमानत याचिका के निर्णय में विचार करने योग्य नहीं है। कभी-कभी वकील भावनाओं में बह जाते हैं। इस आधार पर जमानत का विरोध नहीं किया गया है’।
वरिष्ठ अधिवक्ता सुंदरम ने आग्रह किया कि अदालत को स्पष्ट करना चाहिए कि NDPS मामला और आतंकी हमला दो अलग-अलग विषय हैं और इनका आपस में कोई संबंध नहीं है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कबीर तलवार की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।