नागपुर : महाराष्ट्र राज्य के शिक्षा विभाग में हाल ही में उजागर हुए भर्ती और वित्तीय घोटाले ने एक और नाटकीय मोड़ ले लिया है। इस बहुचर्चित शिक्षा घोटाले में ‘व्हिसलब्लोअर’ रहे शिक्षा उपनिदेशक उल्हास नारड़ को ही एक अलग, परंतु संबंधित, मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह मामला फर्जी शालार्थ आईडी (Shalarth ID) से जुड़ा है, जो शिक्षक की पहचान के लिए बनाए गए एक वेब-आधारित प्रणाली का हिस्सा है।
शालार्थ आईडी घोटाले में गिरफ्तार हुए शिक्षा उपनिदेशक
मार्च 12, 2025 को शिक्षा विभाग द्वारा नागपुर साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी। यह शिकायत स्वयं उपनिदेशक उल्हास नारड़ के आदेश पर दर्ज की गई थी, जिसमें बताया गया था कि शालार्थ पोर्टल पर फर्जी आईडी तैयार की गई हैं जिनके माध्यम से अवैध रूप से सरकारी वेतन निकाला गया।
करीब आठ महीने तक चली आंतरिक जांच के बाद यह मामला उजागर हुआ। इसके बाद एक जांच समिति का गठन किया गया जिसकी अध्यक्षता नागपुर संभागीय मंडल के अध्यक्ष ने की। समिति ने जनवरी 2025 में अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि शालार्थ पोर्टल पर फर्जी आईडी तैयार की गईं और उनके माध्यम से सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया।
उल्टा पड़ा वार : शिकायत दर्ज कराने वाले ही निकले आरोपी
जिस शिक्षा अधिकारी ने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, वही अब खुद मुख्य आरोपी बन चुके हैं। नारड़ को 12 अप्रैल 2025 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया। यह मामला भंडारा जिले के एक शिक्षक की फर्जी शालार्थ आईडी से संबंधित है, जिसके माध्यम से लगभग ₹5.5 लाख का वेतन निकाला गया था।
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार, ‘नारड़ ने इस शिक्षक की शालार्थ आईडी बाद में निरस्त कर दी थी। लेकिन उसके पहले तक शिक्षक को लाखों रुपये का वेतन मिल चुका था। फिर एक दिन जानकारी मिली कि नारड़ को इसी मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है’। जब पूछा गया कि क्या नारड़ ने ही वह आईडी बनाई थी, तो अधिकारी ने जवाब दिया, ‘इस बारे में जानकारी नहीं है’।
फर्जी शिक्षकों की भर्ती और वेतन का घोटाला
शिक्षा विभाग को जून 2024 में फर्जी आईडी की पहली शिकायतें मिली थीं। इसके बाद विभाग ने आंतरिक जांच शुरू की, जिसमें कई फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति और उन्हें वेतन भुगतान की बात सामने आई। जांच में पाया गया कि फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर शालार्थ आईडी बनाई गई और सरकारी खजाने से वेतन निकाला गया।
राज्य शिक्षा आयुक्त कार्यालय को भी दी गई थी सूचना
फरवरी 2025 में समिति की अंतिम रिपोर्ट के बाद उपनिदेशक नारड़ ने यह मामला पुणे स्थित राज्य शिक्षा आयुक्त कार्यालय को सौंपा था। इसके कुछ ही दिनों बाद नारड़ को भंडारा के शिक्षक से जुड़े एक फर्जीवाड़ा प्रकरण में गिरफ्तार कर लिया गया।
अभी जारी है साइबर पुलिस की जांच
हालांकि, साइबर पुलिस अब भी पूरे मामले की जांच कर रही है, और आने वाले समय में और भी कई अधिकारियों की भूमिका सामने आ सकती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, फर्जी आईडी बनाने के पीछे एक संगठित गिरोह की आशंका है, जो सरकारी पदों का दुरुपयोग कर रहा था।
यह प्रकरण केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहराई को दर्शाता है। फर्जी शालार्थ आईडी घोटाला अब एक राज्यव्यापी जांच का विषय बन चुका है और आने वाले दिनों में और बड़े नामों का खुलासा होने की संभावना है।