नई दिल्ली: एक समय था जब इंसान चांद तक पहुंचने का सपना देखता था, लेकिन अब इंसान सूरज के करीब पहुंचने में भी सफल हो चुके हैं। 24 दिसंबर 2024 को भारतीय समयानुसार शाम 5:30 बजे, नासा के पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) ने सूर्य के सबसे पास पहुंचकर इतिहास रच दिया। यह स्पेसक्राफ्ट अब तक का पहला अंतरिक्ष यान है, जो सूर्य से इतनी करीब पहुंचने में सफल हुआ।
पार्कर सोलर प्रोब का सूरज के पास पहुंचना
नासा के अनुसार, पार्कर सोलर प्रोब ने 24 दिसंबर 2024 को सूरज से करीब 3.8 मिलियन मील (61 लाख किलोमीटर) की दूरी से गुजरा, जो अब तक का सूर्य के सबसे पास जाने का रिकॉर्ड है। इस ऐतिहासिक क्षण के दौरान, जब स्पेसक्राफ्ट से कम्यूनिकेशन में रुकावट आई, तो नासा ने इसे जांचने का फैसला किया। 26 दिसंबर 2024 को नासा ने पुष्टि की कि पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के इस नजदीक जाने के बावजूद पूरी तरह से सुरक्षित था और सामान्य रूप से कार्य कर रहा था।
पार्कर सोलर प्रोब की यात्रा
पार्कर सोलर प्रोब का मिशन 2018 में शुरू हुआ था, जब इसे धरती से सूर्य की ओर भेजा गया था। इसके बाद, यह शुक्र ग्रह के सात ग्रैविटेशनल फ्लायबाइज़ का इस्तेमाल करके धीरे-धीरे सूर्य के पास पहुंचता गया। 6 नवंबर 2024 को, इसने शुक्र ग्रह का आखिरी फ्लायबाई किया और अपनी सबसे उपयुक्त ऑर्बिट (Optimal Orbit) तक पहुंच गया। यह अंडाकार ऑर्बिट हर तीन महीने में पार्कर सोलर प्रोब को सूरज के बेहद करीब ले आती है।
स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार और सुरक्षा
पार्कर सोलर प्रोब की गति 4,30,000 मील प्रति घंटे यानी लगभग 6,92,018 किलोमीटर प्रति घंटे है। यह रफ्तार इतनी तेज है कि यह सिर्फ 1.03 मिनट में दिल्ली से न्यूयॉर्क पहुंच सकता है। सूरज के इतने पास जाने के बावजूद, पार्कर सोलर प्रोब अपने विशेष कार्बन फोम शील्ड के कारण सुरक्षित रहता है। यह शील्ड इसे सूरज के कोरोना (सूरज की बाहरी परत) की उच्च तापमान से बचाता है, जो सूर्य के सतह से भी कहीं अधिक है।
सूर्य का तापमान और पार्कर सोलर प्रोब की शील्ड
सूरज के सतह का तापमान करीब 6200 डिग्री सेल्सियस होता है, लेकिन कोरोना का तापमान सूर्य के सतह से करीब 80 गुना अधिक, यानी करीब 5 लाख डिग्री सेल्सियस तक होता है। पार्कर सोलर प्रोब की शील्ड 2,600 डिग्री फारेनहाइट तक के तापमान को सहन कर सकती है। इसके कारण, जब यह स्पेसक्राफ्ट सूर्य के कोरोना से गुजरता है, तो वह उच्च तापमान के बावजूद सुरक्षित रहता है।
मिशन की सफलता और भविष्य के अनुसंधान
यह मिशन वैज्ञानिकों को सूरज की गतिविधियों और उसके प्रभावों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा। विशेष रूप से, यह सौर आंधी (solar wind) के स्रोत और कोरोनल हीटिंग के कारणों को समझने में महत्वपूर्ण साबित होगा। नासा के मिशन निदेशक, निकी फॉक्स ने कहा कि सूरज के इतने पास से उड़ना “इंसानों द्वारा किए गए सौर मिशनों में ऐतिहासिक क्षण है।” इस मिशन से मिली जानकारी न सिर्फ हमारे सौर मंडल को समझने में मदद करेगी, बल्कि यह पृथ्वी और अंतरिक्ष में हम उपयोग किए जाने वाली तकनीकों पर भी असर डालेगी।
पार्कर सोलर प्रोब का मिशन न सिर्फ सूरज के बारे में नई जानकारी प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ब्रह्मांड में अन्य तारों के कामकाज को समझने में भी मदद करेगा, जिससे हम पृथ्वी से दूर स्थित ग्रहों और उनके रहने योग्य होने की संभावना का अध्ययन कर सकेंगे।
पार्कर सोलर प्रोब का सूरज के इतने करीब जाना विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। इसके द्वारा जुटाई गई जानकारी भविष्य में अंतरिक्ष विज्ञान को नई दिशा दे सकती है और सौरमंडल की गहरी समझ हासिल करने में मदद करेगी।
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