नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट 9 अप्रैल 2025 को विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में दायर की गई, जिन्होंने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 अप्रैल 2025 की तारीख तय की है।
ईडी का आरोप : ₹2,000 करोड़ की संपत्तियों की अवैध खरीद
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध और उसके दंड से संबंधित हैं। चार्जशीट में कहा गया है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की ₹2,000 करोड़ से अधिक की संपत्तियां मात्र ₹50 लाख में प्राप्त कीं।
ईडी का दावा है कि इन संपत्तियों का उपयोग अपराध की आय उत्पन्न करने के लिए किया गया। इसमें ₹18 करोड़ की कथित फर्जी डोनेशन, ₹38 करोड़ का एडवांस किराया और ₹29 करोड़ का फर्जी विज्ञापन राजस्व शामिल है।
न्यायिक कार्यवाही और ईडी की अगली रणनीति
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा, ‘इस अभियोजन शिकायत पर अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी, जिसमें अदालत द्वारा संज्ञान लेने का निर्णय लिया जाएगा। ईडी के विशेष वकील और जांच अधिकारी को केस डायरी की प्रति अदालत में प्रस्तुत करनी होगी’।
अदालत ने ईडी को यह निर्देश भी दिया कि वह चार्जशीट और सभी सहायक दस्तावेजों की एक साफ और पठनीय OCR फॉर्मेट में डिजिटल प्रति उपलब्ध कराए। इसके अलावा, कोर्ट स्टाफ को शिकायत की रजिस्ट्रेशन और पेज नंबरिंग सुनिश्चित करने को कहा गया है।
ईडी ने अदालत को सूचित किया है कि वह इस मामले को विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में स्थानांतरित करने के लिए जिला न्यायाधीश के समक्ष एक आवेदन दाखिल करेगी। इसके पीछे कारण है कि मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत वही अदालत उस प्राथमिक अपराध (predicate offence) की सुनवाई कर सकती है, जहां मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा विचाराधीन है।
क्या है गांधी परिवार से संबंधित नेशनल हेराल्ड केस
इस मामले की शुरुआत 26 जून 2014 को बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दिल्ली की एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में दायर निजी शिकायत से हुई थी। शिकायत में कांग्रेस नेताओं द्वारा कथित आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे।
AJL, जो ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार और उसकी वेबसाइट प्रकाशित करता है, को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित किया गया। आरोप है कि इस अधिग्रहण में कानून का उल्लंघन हुआ और इसका उद्देश्य संपत्तियों का गैरकानूनी ढंग से स्वामित्व प्राप्त करना था।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया : राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों की जब्ती कानून के शासन की आड़ में राज्य प्रायोजित अपराध है। यह चार्जशीट प्रधानमंत्री और गृहमंत्री द्वारा प्रतिशोध और डराने की राजनीति का हिस्सा है। कांग्रेस और इसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा। सत्यमेव जयते’।
न्यायिक मान्यता और उच्च न्यायालयों की भूमिका
नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की कानूनी प्रक्रिया को दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों ने बरकरार रखा है। इससे जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति मिली और एजेंसी ने चार्जशीट दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी की।