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कपार्ट क्या है, कब हुई थी कपार्ट की स्थापना…..

by The Photon News Desk
CAPART
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सेंट्रल डेस्क। CAPART : कपार्ट की स्‍थापना दो ए‍‍जेंसियों को मिला कर हुई हैं– काउंसिल ऑफ एडवांसमेंट फॉर रूरल टेक्‍नोलॉजी (सीएआरटी) तथा पीपल्‍स एक्‍शन फॉर डेवलपमेंट (पीएआईडी)। कपार्ट 1980 के संस्‍था पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक स्‍वायत्त संस्‍था मानी गई।

CAPART क्या है?

Council of Advancement of People’s Action and Rural Technology (CAPART) वर्ष 1980 के संस्‍था पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक स्‍वायत्त संस्‍था मानी गई, और स्‍वयंसेवी क्षेत्र की संस्‍थाओं को 1986 में औपचारिक पहचान मिली जब ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सहायक सरकारी तथा स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों के बीच सहायक समितियों के वर्गीकरण तथा सामंजस्‍य के लिए सहयोग किया गया। कपार्ट की स्‍थापना दो ए‍‍जेंसियों ‘काउंसिल ऑफ एडवांसमेंट फॉर रूरल टेक्‍नोलॉजी’ (सीएआरटी) तथा पीपल्‍स एक्‍शन फॉर डेवलपमेंट (पीएआईडी) को मिला कर की गयी है। आज यह संस्‍था भारत में ग्रामीण विकास को फैलाने में बड़ा योगदान कर रही है, पूरे देश में लगभग 12,000 स्‍वयंसेवी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विकास कार्यक्रमों को आरंभ किया गया है|

CAPART- उद्देश्य

भारत सरकार द्वारा कपार्ट को शुरू करनें का मुख्य उद्देश्य कपार्ट ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करनें वाले विशेषतया समाज के दलित तथा सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगो की कार्यप्रणाली में सुधार करना है| गरीबी रेखा के स्‍तर से नीचे वाले लोगों, अनुसूचित जाति तथा जन‍जाति के लोगों, बंधुआ मज़दूरों, अपंगों, बच्‍चों तथा स्त्रियों को प्रमुखता देना कपार्ट का प्रमुख उद्देश्‍य है।

इसके साथ ही कपार्ट के माध्यम से विभिन्न प्रकार की विकास की योजनाओं को बड़े पैमाने पर सुचारू रूप से चलाने वाले स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को आर्थिक तथा प्राकृतिक रूप से सहयोग करता है। भारत सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कपार्ट को धनराशि उपलब्ध करायी जाती है| हालांकि कपार्ट को ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिए स्‍वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को चलाने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय दाताओं का सहयोग भी मिलता है।

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