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पूरे लद्दाख में धारा 144 लागू, इंटरनेट सेवाओं को भी किया गया बंद, जानिए कारण…

by Rakesh Pandey
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लद्दाख/Internet Services Stopped: क्लाइमेट एक्टविस्ट सोनम वांगचुक ने 7 अप्रैल को पश्मीना मार्च निकालने का ऐलान किया है। इस मार्च को लेकर पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है। इसके साथ इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है। इंटरनेट लेह के आसपास लागू रहेगा। लेह के 10 किमी एरिया में शनिवार शाम छह बजे से रविवार शाम छह बजे तक यह लागू रहेगा।

जानकारी के अनुसार, लेह में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के सटे इलाकों में क्लाइमेट एक्टविस्ट सोनम वांगचुक ने पश्मीना मार्च निकालने का ऐलान किया है। पश्मीना मार्च 7 अप्रैल को निकाली जाएगी। इसमें हजारों लोगों के शामिल होने के संभावना जताई जा रही है। पश्मीना मार्च को लेकर लद्दाख प्रशासन ने लेह में धारा 144 लागू कर दी है। लेह में इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है। इंटरनेट को टू जी तक कम कर दिया गया है।

Internet Services Stopped: क्यों निकाला जा रहा पश्मीना मार्च

लद्दाख चारागाहों में चीनी घुसपैठ हो रही है, इसका उजागर करने के लिए औऱ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पश्मीना मार्च क्लाइमेट एक्टविस्ट सोनम वांगचुक इसलिए निकाल रहे। वांगचुने ने दावा किया है कि चाइना ने भारत के 4000 वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया है। पश्मीना मार्च में चरवाहे शामिल होंगे, जो बताएंगे उनकी हालत क्या है।

Internet Services Stopped: शांति भंग होने की संभावना

लेह इलाके में लेह के जिला मजिस्ट्रेट संतोष सुखदेव ने धारा 144 लागू कर दी है। उन्होंने कहा पश्मीना मार्च से शांति भंग होने की संभावना है। नोटिस जारी कर के सार्वजनिक समारोहों, रैली या मार्च पर रोक लगा दी गई है। बिना अनुमति के लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है।

Internet Services Stopped: केंद्र के इशारे पर प्रशासन कर रहा काम

क्लाइमेट एक्टविस्ट सोनम वांगचुक ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि शांति पूर्ण हम मार्च निकालने वाले थे। इसके बाद प्रशासन ने आंदोलन में भाग ने वालों को ऐसे आदेश जारी कर डराने का काम कर रही है। दबाव डाल रही है। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यहां जिला प्रशासन को दिल्ली निर्देश कर रहा है। 31 दिनों से शांतिपूर्ण अनशन चल रहा है। हमने मार्च भी शांति पूर्ण निकालने की बात कही थी। फिऱ प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। लोगों पुलिस ले जा रही है और उन्हें धमकी दी जा रही है कि वे मार्च में शामिल न हों।

 

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