Home » आईपीसी, सीआरपीसी, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन विधेयक लोकसभा में पेश, राजद्रोह कानून होगा समाप्त, लिचिंग करने पर 7 साल से मृत्युदंड तक का प्रावधान

आईपीसी, सीआरपीसी, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन विधेयक लोकसभा में पेश, राजद्रोह कानून होगा समाप्त, लिचिंग करने पर 7 साल से मृत्युदंड तक का प्रावधान

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

नयी दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में तीन नये विधेयक पेश किये और कहा कि अब राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है। ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए इन तीनों विधेयक को लाया गया है।
शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पांच प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में ही हम सबका मार्गदर्शन किया था कि अंग्रेजों के बनाए हुए जितने भी कानून हैं उन पर सोच-विचार और चर्चा करके उन्हें आज के समय के अनुरूप और भारतीय समाज के हित में बनाया जाना चाहिए। वहीं से ये प्रक्रिया शुरू हुई।

गृह मंत्री के प्रस्ताव पर तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके। विधेयकों को पेश किये जाने के दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।

जानिए कौन विधेयक किसकी जगह लेंगे:

विधेयकों का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने बताया कि भारतीय दंड संहिता 1860 में बनाई गयी थी, वहीं दंड प्रक्रिया संहिता 1898 में बनाई गयी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 में बनी थी। लेकिन अब भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 स्थापित होगी। दंड प्रक्रिया संहिता 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता स्थापित होगी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम स्थापित किया जाएगा।

मॉब लिचिंग करने वालों को 7 साल से मृत्युदंड तक का प्रावधान:

लोकसभा में गृहमंत्री ने कहा कि ‘मॉब लिचिंग’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी है। गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ‘शून्य प्राथमिकी’ की प्रणाली ला रही है जिसके तहत देश में कहीं भी अपराध हो, उसकी प्राथमिकी हिमालय की चोटी से कन्याकुमारी के सागर तक कहीं से भी दर्ज कराई जा सकती है। इसके साथ ही यह सरकार ई-प्राथमिकी की व्यवस्था शुरू करेगी। वहीं अब हर थाने में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा जो हिरासत में लिये गये आरोपियों के परिजनों को इस बात का प्रमाणपत्र देगा कि आपके परिजन हमारी गिरफ्त में हैं।

यौन हिंसा और उत्पीड़न के मामले में पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य:

शाह ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए ‘त्वरित’ की प्रणाली शुरू की जाएगी। अब पुलिस को 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर करना होगा जिसे अदालत 90 दिन और बढ़ा सकती है। पुलिस को अधिकतम 180 दिन में जांच समाप्त करनी होगी और अदालतें भी फैसलों को सालों तक लंबित नहीं रख सकतीं।

झूठे वादे करके यौन संबंध बनाना अब अपराध:

नये कानूनों के तहत यह सरकार पहली बार शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में ला रही है। शाह ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि आगामी 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त होगा और 16 अगस्त से आजादी की 100 वर्ष की यात्रा की शुरुआत के साथ अमृत काल का आरंभ होगा। शाह ने कहा कि ये कानून अंग्रेज शासन को मजबूत करने एवं उनकी रक्षा के लिए उन्होंने बनाये थे। उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य दंड देना था, न्याय देना नहीं था।

महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध अब पहला अध्याय होगा:

शाह ने कहा कि आईपीसी में मनुष्य की हत्या से संबंधित अपराध धारा 302 के तहत दर्ज था, जबकि शासन के अधिकारी पर हमला, खजाने की लूट जैसे अपराधों को पहले दर्ज किया गया था। हम अब इस सोच को बदल रहे हैं। नये कानून में सबसे पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित होगा और दूसरे अध्याय में मनुष्य हत्या के अपराध से जुड़े प्रावधान होंगे।’’

 READ ALSO : Supreme Court Collegium: राहुल गांधी के खिलाफ फैसला देने वाले गुजरात हाई कोर्ट के जज का ट्रांसफर पटना हाईकोर्ट में करने की सिफारिश, जानिए क्या है पूरा मामला

यह भी होगा:

:: अब भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है। क्योंकि कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांछित है, वह देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर मुकदमा नहीं चल सकता।
:: अब सभी अदालतों को कम्प्यूटराइज्ड किया जाएगा, प्राथमिकी से लेकर निर्णय लेने तक की प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाएगा, अदालतों की समस्त कार्यवाही प्रौद्योगिकी के माध्यम से होगी और आरोपियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंस से होगी।
:: अब ईमेल, एसएमएस, लैपटॉप, कम्प्यूटर समेत अनेक प्रौद्योगिकियों को साक्ष्य बनाने की वैधता मिलेगी।
:: अब नये कानूनों के लागू होने के बाद तलाशी और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी तथा पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग के बिना दर्ज आरोप पत्र मान्य नहीं होगा।
:: सरकार फोरेंसिक विज्ञान को बढ़ावा देगी और हर साल देश में 33 हजार फोंरिसक विशेषज्ञ तैयार होंगे।
:: सात वर्ष या उससे अधिक कारावास की सजा वाली धाराओं में अपराध स्थल पर फोंरसिक दल का दौरा अनिवार्य होगा। भविष्य में हर जिले में तीन चल फोरेंसिक दल तैनात किए जाएंगे।

Related Articles