नई दिल्ली : अमेरिका में ट्रंप के शासन संभालने के साथ ही विश्व के कई शीर्ष देशों के बीच टैरिफ वार छिड़ गया है। ट्रंप द्वारा छेड़ा गया, यह टैरिफ वार धीरे-धीरे ट्रेड वार का रूप ले रहा है। इसकी जद में लगभग सभी छोटे-बड़े देश आ रहे हैं। अमेरिका ने अब तक चीन, कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाया है। उसके जवाब में चीन और कनाडा ने भी अमेरिका पर उल्टा टैरिफ लगा दिया है। भविष्य में इस ट्रेंड के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इसी बीच इस ट्रेड वार का फायदा भारत को होने की संभावना भी जताई जा रही है।
भारत के साथ अमेरिका अपनाएगा परस्पर शुल्क नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व के जिन देशों के साथ टैरिफ वार की घोषणा की है, उनमें चीन, कनाडा और मेक्सिको भी शामिल है। हालांकि उन्होंने भारत के साथ परस्पर शुल्क नीति की भी बात कही है। यानी भारत जितना अमेरिका पर आयात शुल्क लगाएगा, उतना ही शुल्क अमेरिका भी भारत पर लगाएगा। धीरे-धीरे यह टैरिफ वार, एक ट्रेड वार (व्यापार युद्ध) के रूप में परिवर्तित होता जा रहा है। इसका परिणाम अभी से ही दिखने लगा है, क्योंकि चीन और कनाडा ने भी अमेरिका पर अब जवाबी टैरिफ लागू कर दिया है।
यह है भारत और अमेरिका के व्यापार का गणित
टैरिफ और ट्रेड वार के इस बढ़ते ट्रेंड से भारत को फायदा हो सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार पहले तीन माह में ही भारत से अमेरिका को निर्यात में 10% तक बढ़ोतरी की संभावना है। वहीं भारत से कुल 8.40 लाख करोड़ रुपये का निर्यात होने की भी संभावना जताई जा रही है। वर्तमान समय में भारत अमेरिका को 7.63 लाख करोड़ रुपये का सामान निर्यात करता है।वहीं अमेरिका से 3.65 लाख करोड़ रुपये के समान का आयात करता है।
इस तरह भारत को होगा ट्रेड वार का फायदा
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा छेड़े गए, टैरिफ वार और धीरे-धीरे परिवर्तित हो रहे ट्रेड वार से भारत को फायदा होने का आकलन इसके पिछले अनुभव से लगाया जा रहा है। विगत वर्ष 2019 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर अधिक टैरिफ ड्यूटी लगाई थी, तब भारत विश्व का चौथा सबसे अधिक लाभ कमाने वाला देश बना था।
इन चुनौतियों से निपटना होगा भारत को
अमेरिका से शुरू हुए टैरिफ और ट्रेड वार से निपटने के लिए भारत के समक्ष भी कई चुनौतियां होंगी। अभी फिलहाल अमेरिका के टैरिफ वार में राष्ट्रपति ट्रंप के निशाने पर चीन, कनाडा और मेक्सिको देश है। इस स्थिति को देखते हुए, भारत को अपने प्रोडक्शन, ग्रोथ और डिमांड पर बहुत अधिक काम करने की जरूरत होगी। यदि भारत में प्रोडक्शन अथवा मैन्युफैक्चरिंग बढ़ता है, तो इससे सीधे-सीधे रोजगार में वृद्धि होगी। रोजगार में वृद्धि से लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। इससे वस्तुओं की मांग भी बढ़ेगी।