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NEET : हाईब्रिड मोड में होगी नीट की परीक्षा, पेपर लीक से निपटने के लिए सरकार ने बनाई सुधार समिति

by Rakesh Pandey
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जमशेदपुर : नीट पेपर लीक की समस्या ने देशभर के छात्रों और अभिभावकों को सड़कों पर ला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) और सरकार के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। इस गंभीर मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इसरो के पूर्व प्रमुख डॉक्टर के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है, जो इस समस्या के समाधान के लिए सुझाव देगी।

समिति के प्रमुख सुझाव


प्रश्नपत्रों का डिजिटल वितरण

समिति की रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण सुझाव यह दिया गया है कि नीट सहित अन्य प्रवेश परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों को डिजिटल माध्यम से भेजा जाए। जहां संभव हो, ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन करने की सिफारिश की गई है। यह प्रक्रिया प्रश्नपत्रों की सुरक्षा को बढ़ाएगी और पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकने में मदद करेगी।

हाइब्रिड मोड में परीक्षाएं


समिति ने उन परीक्षाओं के लिए हाइब्रिड मोड का सुझाव दिया है जहां पूरी तरह से ऑनलाइन परीक्षा कराना संभव नहीं हो। इस मॉडल में, प्रश्नपत्र डिजिटल रूप से भेजा जाएगा, लेकिन उम्मीदवार ओएमआर शीट पर अपने उत्तर अंकित करेंगे। इस व्यवस्था से प्रश्नपत्रों के सुरक्षित वितरण में मदद मिलेगी और पेपर लीक की घटनाओं में कमी आएगी।

NTA की संरचना में सुधार की आवश्यकता


समिति ने NTA की संरचना में सुधार की सिफारिश की है। वर्तमान में, NTA मुख्य रूप से अस्थायी कर्मचारियों पर निर्भर है। समिति ने स्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और परीक्षा केंद्रों को निजी सेवाओं पर निर्भर करने की बजाय सरकारी नियंत्रण में लाने की सलाह दी है। इससे परीक्षाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा में वृद्धि होगी।


परीक्षा का आयोजन दो चरणों में


समिति ने यह भी सिफारिश की है कि NEET-UG परीक्षा को दो चरणों में आयोजन किया जाए, जैसे कि JEE मेन और एडवांस्ड परीक्षाओं का आयोजन होता है। इससे परीक्षार्थियों की बड़ी संख्या को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और परीक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाया जा सकेगा।

CUET में सुधार के सुझाव


समिति ने केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) में विषयों के चयन को सीमित करने का भी प्रस्ताव दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रवेश परीक्षा का मकसद सामान्य योग्यता और विषय ज्ञान का परीक्षण हो, न कि बोर्ड परीक्षाओं के दोहराव का।
जानकार बताते हैं कि इस समिति के सुझावों पर अमल करने से न केवल नीट जैसे महत्वपूर्ण परीक्षा प्रणाली में सुधार होगा, बल्कि छात्रों और अभिभावकों के बीच भरोसा भी बढ़ेगा। सरकार को इन सिफारिशों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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