नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के लागू होने के साथ ही कक्षा 3 से 12वीं तक के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) तैयार कर लिया है। NCF के प्रकाशन की तैयारी चल रही है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो फ्रेमवर्क को इसी महीने सामने लाया जा सकता है।
इसके तहत कक्षा 3 से 12 तक के लिए स्कूली शिक्षा के लिए अब करीब 150 विषयों की किताबें बनाई जाएंगी।
शैक्षणिक सत्र 2024-25 के शुरुआती महीनों में न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के हिसाब से कक्षा-3, 6 और 9 की पहली किताबें सामने आ जाएंगी। सरकार ने तीसरी से 12वीं तक की सभी कक्षाओं के लिए नई किताबें तैयार करने के लिए भी विषय विशेषज्ञों की पहचान कर ली है।
NCF के घोषित होते ही किताबें तैयार करने की कमेटियां गठित होंगी। सरकार अब सेमेस्टर सिस्टम की प्रणाली को भी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से निकालकर स्कूली शिक्षा में लागू करने की तैयारी में है।
जानिए क्या कुछ होने जा रहा है बदलाव
1. फाउंडेशन स्टेज (3 से 8 साल): नहीं होगी परीक्षा
बाल वाटिका/प्री-स्कूल में बच्चों को जादुई पिटारे (53 किस्म के खेल-खिलौने, पोस्टर, बोर्ड, बिल्डिंग ब्लॉक, प्लेइंग कार्ड) से पढ़ाई होगी। इन कक्षाओं के बच्चों के लिए कोई किताब नहीं होगी। सभी सेंट्रल स्कूल में बाल वाटिका खोलीं गईं हैं। जादुई पिटारा फरवरी में जारी हो चुका है।
प्राइवेट स्कूलों में ही प्ले ग्रुप और नर्सरी की क्लासेस चलती हैं। अब NEP में शुरुआती तीन साल सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाए जाएंगे।
6 से 8 साल :
प्री-स्कूलिंग कर चुके छह साल के बच्चे को पहली कक्षा में दाखिला मिलेगा। इसमें केवल दो किताबें होंगी भाषा और गणित। दूसरी कक्षा के बाद फाउंडेशन लेवल पूरा होगा। फाउंडेशन लेवल में कोई परीक्षा नहीं होगी। इस स्टेज की किताबें उपलब्ध हैं।
जन्म से 3 साल तक: माता-पिता के लिए भी पहली बार अर्ली चाइल्डकेयर एजुकेशन सिलेबस (पालन-पोषण में क्या ध्यान रखें, क्या करें) तैयार हो चुका है। इसका सिलेबस जल्द जरी किया जाएगा ।
2. प्रीप्रेटरी स्टेज (8 से 11 साल): इस अवधि के दौरान 3 भाषाएं और गणित की पढ़ाई का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके तहत कक्षा 3 में आठ साल के बच्चे को दाखिला मिलेगा। तीन भाषाएं और गणित की पढ़ाई होगी। 5 वीं कक्षा तक पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में होगी। कक्षा-3 में पहली बार बच्चे का मूल्यांकन होगा। कक्षा-5 के आखिर में दूसरी बार मूल्यांकन होगा।
3. मिडिल स्टेज (11 से 14 साल) : इस चरण में वोकेशनल एक्सपोजर शुरू होगा। कक्षा 6 में 11 साल के बच्चे को दाखिला मिलेगा। 8वीं कक्षा तक बच्चों को वोकेशनल एक्सपोजर कराया जाएगा, इसका मूल्यांकन नहीं होगा। भाषा और विज्ञान के अलावा मानविकी, विज्ञान, कला और सामाजिक विज्ञान की बेसिक पढ़ाई करेंगे। 8वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी होने पर तीसरा मूल्यांकन होगा। कक्षा-3, 5 और 8 में होने वाले मूल्यांकन बोर्ड परीक्षा की तरह नहीं होंगे। छात्रों- पैरेंट्स की नियमित काउंसलिंग होगी। वोकेशनल एजुकेशन का मूल्यांकन 9वीं कक्षा से होगा।
4. सेकेंडरी स्टेज (14 से 18 साल):
कक्षा 9 से 12 तक में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा। इन कक्षाओं में अब सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई होगी। इसके अगले सत्र से शुरू हो जाने की बात कही जा रही है। ऐसे में साल में बोर्ड परीक्षा के दो मौके मिलेंगे। 9वीं-10वीं और 11वीं-12वीं में कुल 16-16 पेपर (कोर्स) देने होंगे यानी एक साल में कम से कम 8 पेपर होंगे। 9वीं का रिजल्ट 10वीं के फाइनल सर्टिफिकेट में जुड़ेगा, इसी तरह 11वीं के अंक 12वीं के रिजल्ट में जुड़कर सर्टिफिकेट मिलेगा।
9 वीं व 10 वीं में आठ स्ट्रीम होंगे:
नए मसौदे में 9 वीं व 10 वीं में आठ स्ट्रीम होंगे। इसमें मानविकी व भाषा, मैथमेटिक्स, वोकेशनल एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन, आर्ट्स, सोशल साइंस, साइंस और इंटरडिसिप्लीनरी ग्रुप। इन 8 ग्रुप में हर से दो-दो यानी 16 पेपर चुनने होंगे।
इन्हीं आठ समूहों में से न्यूनतम तीन समूहों से चार विषय चुनने होंगे। हर विषय के चार-चार पेपर होंगे। चुनने के 150 विकल्प मिलेंगे।
अभी तक 11 वीं व 12 वीं के स्तर पर साइंस, कॉमर्स व आर्ट्स संकाय हैं। लेकिन, अब संकाय का विभाजन नहीं होगा। यहां तक कि संगीत, खेल व क्राफ्ट गतिविधियों को आर्ट्स एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन व वोकेशनल एजुकेशन का दर्जा मैथमेटिक्स, साइंस, मानविकी, भाषा व सामाजिक विज्ञान के बराबर होगा। रिपोर्ट कार्ड जो हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड कहलाएगा, उसमें करिकुलर, को-करिकुलर सभी गतिविधियों में प्रदर्शन का ब्योरा होगा।