जपला (पलामू): असम के मुख्यमंत्री और झारखंड के प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मेदिनीनगर के न्यायालय में मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई पूर्व विधायक और हुसैनाबाद से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी द्वारा की गई है। इसके बाद से झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि विवादित बयानों के चलते सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखने की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। राजनीतिक दलों को इस मामले पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, ताकि राज्य में सामूहिक शांति और भाईचारे को सुरक्षित रखा जा सके।
विवादित बयान का मामला
समाचार के अनुसार, यह मामला उस समय उत्पन्न हुआ जब हिमंता बिस्वा सरमा ने हुसैनाबाद में भाजपा प्रत्याशी कमलेश कुमार सिंह के नामांकन सभा में एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, “यह हुसैन कौन है? यह हुसैन कहां से आया है?” सरमा ने यह भी कहा कि अगर भाजपा की सरकार बनती है, तो हुसैनाबाद का नाम बदल दिया जाएगा, और इसे किसी महापुरुष के नाम पर रखा जाएगा।
सांप्रदायिक उन्माद का आरोप
पूर्व विधायक ने अपने परिवाद में आरोप लगाया है कि सरमा का यह बयान सांप्रदायिक उन्माद को भड़काने वाला था। उन्होंने कहा, “हुसैनाबाद की जनता आपसी सौहार्द्र के साथ रहती है। यहां के लोग किसी भी संप्रदाय के प्रति द्वेष या कटुता नहीं रखते।” उनके अनुसार, ऐसे बयानों से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
न्यायालय की कार्रवाई की मांग
पूर्व विधायक ने न्यायालय से आग्रह किया है कि सरमा के खिलाफ सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए। यह मामला न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है, और इससे क्षेत्र की सामाजिक समरसता को खतरा हो सकता है।