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झारखंड में युवा राजनीति की नई लहर: जयराम महतो का उभार, सुदेश महतो की हार

चुनाव में कुर्मी समुदाय ने जयराम के पक्ष में लामबंदी की, जिसकी ओबीसी में 8.6% हिस्सेदारी हैं। झारखंड की कुल आबादी में कुर्मी की हिस्सेदारी करीब 15% है और ऐसे में जयराम ने इस वोट बैंक से अपनी ताकत बढ़ाई।

by Rakesh Pandey
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रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव ने राज्य की राजनीति में एक नई दिशा दिखाई है, जहां ओबीसी कुर्मी समुदाय के एक नए नेता, जयराम महतो उर्फ ‘टाइगर’ ने अपनी पहचान बनाई है। झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के प्रमुख के तौर पर जयराम ने अपने समर्थकों के बीच एक नई उम्मीद जगाई है, भले ही उनकी पार्टी ने केवल एक सीट जीती हो, लेकिन चुनाव परिणामों पर उनका प्रभाव साफ देखा गया।

जयराम महतो: कुर्मी समुदाय के नए नेता

जेएलकेएम ने राज्य की 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें से एक सीट पर जीत हासिल हुई, लेकिन पार्टी ने 14 सीटों के परिणामों को प्रभावित किया। यह परिणाम खासकर इंडिया ब्लॉक के लिए फायदेमंद साबित हुए। जयराम महतो ने डुमरी विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की, जहां उन्होंने झामुमो की बेबी देवी को 10,945 वोटों के अंतर से हराया। जयराम को 94,496 वोट मिले और यह जीत राज्य में उनके बढ़ते राजनीतिक प्रभाव का संकेत है।

इस चुनाव के दौरान कुर्मी समुदाय ने जयराम के पक्ष में लामबंदी की, जो कि ओबीसी में 8.6% की हिस्सेदारी रखते हैं। झारखंड की कुल आबादी में कुर्मी समुदाय की हिस्सेदारी करीब 15% के आसपास है और ऐसे में जयराम महतो ने इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचकर राज्य में अपनी ताकत बढ़ाई। उनका कहना था कि सपने देखना चाहिए और युवाओं को बड़े सपने देखने चाहिए। विधायक बनने से न केवल मेरा, बल्कि युवाओं के लिए भी रास्ते खुल गए हैं।

सुदेश महतो की हार: AJSU के लिए बड़ा झटका

वहीं, दूसरी ओर, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) के प्रमुख सुदेश महतो को सिल्ली विधानसभा क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा। वह झामुमो के अमित महतो से 23,867 मतों के अंतर से हार गए। सुदेश महतो के लिए यह हार पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका थी, क्योंकि वे राज्य में ओबीसी कुर्मी समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधि माने जाते हैं। इस हार के बाद सुदेश महतो ने कहा कि हम जनादेश का सम्मान करते हैं और हेमंत सोरेन जी को बधाई देते हैं। हम अपनी पार्टी और एनडीए के भीतर इस चुनाव परिणाम की समीक्षा करेंगे।

जयराम महतो का प्रभाव: जेएलकेएम का उभरता चेहरा

जयराम महतो की जीत ने झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल मचाई है। 29 वर्षीय जयराम ने अपनी पार्टी जेएलकेएम के माध्यम से राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुर्मी समुदाय को अपने पक्ष में खड़ा किया। उन्होंने पहले झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के बैनर तले राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिसे सरकार ने बाद में रद्द कर दिया। इस विरोध ने उन्हें एक नए राजनीतिक पहचान दिलाई और इसी के चलते 2024 में जेएलकेएम का गठन हुआ।

जयराम ने लोकसभा चुनाव में भी अपना प्रभाव दिखाया था, जहां उन्होंने गिरिडीह से 3.47 लाख वोट हासिल किए थे। हालांकि, वह तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन इसने उनकी राजनीतिक बढ़त को साफ दिखाया। उनका कहना था, “नई पार्टी के लिए शुरूआत में चुनौतियां होती हैं, लेकिन अगर हम इनसे डर कर पीछे हटते हैं, तो लोकतंत्र को खतरा होगा।”

समाजवादी राजनीति में बदलाव: जयराम और सुदेश की तुलना

जहां एक तरफ जयराम महतो ने कुर्मी समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में किया और नई राजनीति की शुरुआत की, वहीं दूसरी ओर सुदेश महतो की हार ने उन्हें राजनीतिक तौर पर कमजोर कर दिया। जेएलकेएम के प्रदर्शन ने जहां झामुमो और कांग्रेस को फायदा पहुंचाया, वहीं भाजपा और एनडीए को नुकसान भी हुआ।

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