RANCHI (JHARKHAND): कांके प्रखंड के नगड़ी क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि पर रिम्स-2 के प्रस्तावित निर्माण को लेकर स्थानीय ग्रामीणों, विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों में भारी आक्रोश और चिंता है। इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ आशा लकड़ा से पूर्व में शिकायत की थी। शनिवार को डॉ आशा ने नगड़ी पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और ग्रामीणों से बातचीत की। ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि यह भूमि उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत है। नगड़ी में पूर्वी क्षेत्र में 202 एकड़ और पश्चिमी क्षेत्र में 25 एकड़ भूमि कृषि योग्य है, जिस पर लगभग 250 आदिवासी परिवार निर्भर हैं। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि यदि इस भूमि पर रिम्स-2 का निर्माण हो गया, तो न केवल उनका जीवनयापन संकट में पड़ जाएगा बल्कि अंतिम संस्कार जैसी पारंपरिक प्रक्रियाएं भी बाधित होंगी।
2012 नहीं काटी गई रसीद
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2011 तक जमीन का रसीद कटता रहा, लेकिन 2012 के बाद से यह प्रक्रिया बंद हो गई है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत उन्होंने जमीन से संबंधित जानकारी मांगी थी, परंतु विभाग के पास अधिग्रहण की कोई जानकारी नहीं मिली। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन उन्हें खेती करने से रोक रहा है, जबकि धान लगाने का समय चल रहा है। उन्होंने सड़क पर ही बिचड़ा तैयार कर रखा है।
खतरे में पड़ जाएगा आदिवासी का अस्तित्व
डॉ आशा लकड़ा ने कहा कि आदिवासी समाज का जीवन जल, जंगल और जमीन से जुड़ा है। यदि उनसे जमीन छीनी जाती है तो उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने बताया कि आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जल्द ही एक रिपोर्ट राज्य सरकार, राष्ट्रपति व गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। साथ ही दोषी अधिकारियों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इस दौरान डॉ आशा लकड़ा ने राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से राजभवन में शिष्टाचार भेंट कर पेसा कानून, भूमि विवाद और आयोग की कार्रवाइयों पर विस्तृत चर्चा की।