नई दिल्ली: भारत में 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण के लिए एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। अमेरिकी प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका जाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस दिशा में अब NIA की टीम जल्दी ही अमेरिका का दौरा करेगी।
NIA की पांच सदस्यीय टीम का गठन
भारत सरकार और NIA को गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से भी अनुमोदन प्राप्त हो चुका है, जिसके बाद पांच सदस्यीय एक टीम का गठन किया गया है। इस टीम का नेतृत्व महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी करेंगे, और इसे तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका भेजा जाएगा।
राणा का महत्व: 26/11 मुंबई हमले में अहम भूमिका
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, 2008 के मुंबई आतंकी हमले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक थे। इस हमले में 174 लोगों की जान गई थी, जिनमें 20 सुरक्षाकर्मी और 26 विदेशी नागरिक शामिल थे, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। राणा का करीबी संबंध अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमेन हेडली से था, जिसने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के संभावित ठिकानों की पहचान की थी।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला
पिछले महीने, 21 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के खिलाफ उनकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद अमेरिकी प्रशासन ने राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी। इस फैसले ने भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत को पक्का किया है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बैठक का असर
राणा के प्रत्यर्पण की मंजूरी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने दी थी, और इस मुद्दे पर चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच वाशिंगटन डीसी में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान हुई थी। दोनों नेताओं ने आतंकवाद से लड़ने में सहयोग बढ़ाने और पाकिस्तान से संबंधित मुद्दों पर संयुक्त प्रयासों को मजबूत करने पर भी जोर दिया था।
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग पर जोर
भारत और अमेरिका ने आतंकवाद के वैश्विक खतरे का मुकाबला करने के लिए एकजुट होकर काम करने का संकल्प लिया है। संयुक्त बयान में यह उल्लेख किया गया कि आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को समाप्त करने के लिए दोनों देशों को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। इस बैठक में 26/11 मुंबई हमले और पठानकोट हमले के अपराधियों को शीघ्र न्याय दिलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों पर निशाना
भारत और अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ उनकी लड़ाई में पूरी दुनिया का सहयोग आवश्यक है। दोनों देशों ने वैश्विक आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही, संयुक्त बयान में आतंकवादियों और गैर-राज्यीय तत्वों की पहुंच को सामूहिक विनाशक हथियारों और उनके वितरण प्रणालियों तक रोकने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
नए आतंकवादी खतरों के खिलाफ ठोस कदम
अमेरिका और भारत ने आतंकवाद, अवैध आव्रजन, नार्को-आतंकवाद और संगठित अपराध से मुकाबला करने के लिए कानून प्रवर्तन सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया है। दोनों देशों ने ऐसे संगठित अपराध सिंडिकेट्स के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई है, जो सार्वजनिक और राजनयिक सुरक्षा, साथ ही दोनों देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालते हैं।
खालिस्तानी आतंकवाद और पाकिस्तान पर दबाव
इस दौरान, दोनों नेताओं ने खालिस्तानी आतंकवाद के खतरे और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भी संयुक्त कदम उठाने का आह्वान किया। भारतीय सुरक्षा बलों ने खालिस्तान समर्थकों और आतंकवादियों को कड़ी चेतावनी दी है, और उम्मीद की जाती है कि अमेरिका पाकिस्तान पर इस मुद्दे को लेकर दबाव बनाएगा।