नई दिल्ली। आज, भारत सरकार ने फिल्म प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विदेशी फिल्मों के निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि को 30% से बढ़ाकर 40% कर दी है। इसके साथ ही, विदेशी फिल्मों के लिए भारत में महत्वपूर्ण सामग्री (एसआईसी) के लिए अतिरिक्त 5% बोनस का भी ऐलान किया गया है। इस नई पॉलिसी का उद्देश्य, देश में मध्यम और बड़े बजट की अंतरराष्ट्रीय फिल्म परियोजनाओं को आकर्षित करना और सिनेमाई प्रयासों को बढ़ावा देना है।
केंद्रीय मंत्री का बयान
इसके साथ ही भारतीय सरकार ने पिछले साल कान्स में इस प्रोत्साहन योजना की घोषणा की थी, जिसमें विदेशी फिल्म निर्माण के लिए किए जाने वाले खर्च का 30% तक का प्रतिपूर्ति का प्रस्ताव था। इस नई योजना के तहत अब किए जाने वाले खर्च का 40% तक का प्रतिपूर्ति दिया जाएगा, जो 3.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
सेवाएं और संरचना
इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) द्वारा स्थापित फिल्म सुविधा कार्यालय (एफएफओ) एकल-खिड़की सुविधा और निपटारा तंत्र के रूप में कार्य करेगा। इससे भारत में फिल्मांकन को आसान बनाया जाएगा और एक फिल्म के अनुकूल इकोसिस्टम बनाने का प्रयास किया जाएगा।
उभरते उद्योगों का लाभ
यह नई पॉलिसी उभरते उद्योगों जैसे एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स और पोस्टप्रोडक्शन सेवाओं को भी फिल्म क्षेत्र में हालिया पहल से लाभ होने की उम्मीद कर रही हैं। इससे ना केवल आर्थिक वृद्धि होगी, बल्कि यह रोजगार के अवसर सृजित करने में भी सहायक होगा और देश को पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देने में भी सहायक होगा।
इस नई पॉलिसी के द्वारा, भारत ने फिल्म प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रयास किया है, जिससे देश में फिल्मांकन के क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे।
यह कदम न केवल विदेशी निर्देशकों और कलाकारों को आकर्षित करने में मदद करेगा, बल्कि यहां के स्थानीय उत्पादकों और विद्यार्थियों को भी नए संभावनाओं का अनुभव करने का अवसर मिलेगा। इससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर को ग्लोबल मंच पर प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी, और भारतीय कला और सिनेमा को विश्व स्तर पर उच्चतम मानकों तक पहुंचाने में सहायक होगा।
इस नई पॉलिसी से साफ है कि भारतीय फिल्म उद्योग अब अधिक समृद्धि और रूचि का केंद्र बनेगा, जिससे देश को आर्थिक रूप से भी लाभ होगा। यह योजना न केवल एक सहारा प्रदान करेगी, बल्कि यह भी भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रमोट करने में महत्वपूर्ण योगदान करेगी।
इस स्कीम के तहत नए और उभरते निर्देशकों को भी मिलेगा, जो देश के सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता को बेहतरीन रूप से प्रस्तुत करने में नए दृष्टिकोण और दृष्टिगतियों के साथ आगे बढ़ेंगे। इससे होने वाली आर्थिक वृद्धि के साथ ही, यह देशवासियों को अधिक मनोरंजन और सांस्कृतिक अनुभव का भी सौभाग्य देगा।
इस बड़े और प्रगतिशील कदम से हम देख सकते हैं कि भारतीय सिनेमा का भविष्य और भी उज्ज्वल है और देश का इस क्षेत्र में योगदान वृद्धि करने की क्षमता से भरा हुआ है। आशा है कि यह योजना फिल्म इंडस्ट्री को नए ऊंचाईयों तक पहुंचाएगी और आने वाले समय में इस क्षेत्र में रौनक बनी रहेगी।
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