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झारखंड विधानसभा की समितियों की अनदेखी करते हैं अधिकारी : रविंद्रनाथ महतो

by Rakesh Pandey
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रांची : झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो ने बुधवार को विधानसभा की नवगठित समितियों के सभापतियों के साथ बैठक की। इसमें चर्चा हुई कि सरकारी अधिकारी समितियों को इग्नोर करते हैं। बैठकों में नहीं आते हैं या फिर ऐसे अधिकारी को भेज देते हैं, जो उस विषय के जानकार नहीं होते। ये सब समिति के काम में बाधा उत्पन्न करते हैं। समितियों के गठन के बाद यह पहली बैठक थी। स्पीकर ने 23 मई को विधानसभा की 24 कमेटियों का गठन किया था।

बैठक के बाद स्पीकर ने कहा कि समितियां विधानसभा में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और यह एक मिनी कैबिनेट की तरह है। इस विधानसभा में कई वरिष्ठ विधायक हैं, जो एकीकृत बिहार में भी समितियों के सभापति और सदस्य रह चुके हैं। बैठक में सभी सभापतियों ने समितियों के सफल संचालन की बात कही। इस बात पर भी चर्चा हुई कि विभागीय बैठक में सचिव स्तर के पदाधिकारी को आना चाहिए। अगर व्यस्तता के कारण वे नहीं आ पाते तो कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी आएं और विषय वस्तु का अध्ययन कर के आएं।

बैठक में प्राक्कलन समिति के सभापति निरल पूर्ति, सामान्य प्रयोजन समिति के भूषण तिर्की,सरकारी उपक्रम समिति के सरयू राय, सरकारी आश्वासन समिति के दीपक बिरूवा, प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति के डॉ सरफराज अहमद, प्रत्यायुक्त समिति के विनोद कुमार सिंह, पंचायती राज समिति के रामदास सोरेन, केंद्रिय सहायता समिति के इरफान अंसारी, निवेदन समिति के उमाशंकर अकेला, अनुसूचित जाति,जनजाति , पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण समिति के लोबिन हेंब्रम, सदाचार समिति के रामचंद्र सिंह,पुस्तकालय विकास समिति की अपर्णा सेनगुप्ता, महिला एवं बाल विकास की सीता मूर्मू, विधायक निधि अनुश्रवण समिति के सीपी सिंह, गैर सरकारी संकल्प समिति के केदार हाजरा, अनागत प्रश्न क्रियान्वयन समिति के रामचंद्र चंद्रवंशी और आवास समिति के ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन उपस्थित थे।

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