जम्मूः जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को आईएमएफ से एक और राहत पैकेज मिलने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सवाल किया है कि जब पाकिस्तान भारतीय क्षेत्रों पुंछ, राजौरी, उरी और तंगधार में लगातार गोलाबारी कर रहा है, तो आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की सहायता कैसे तनाव कम करने में मदद करेगी।
फंड पर भारत ने जताया कड़ा विरोध
अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘X’ पर लिखा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह कैसे लगता है कि वर्तमान तनाव कम होगा, जब आईएमएफ पाकिस्तान को उन सभी गोला-बारूद के लिए भुगतान कर रहा है, जिसका वह पुंछ, राजौरी, उरी, तंगधार और अन्य स्थानों को तबाह करने के लिए उपयोग कर रहा है’।
यह टिप्पणी आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के आर्थिक स्थिरीकरण पैकेज के तहत एक अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि जारी करने के बाद आई है। भारत ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और आईएमएफ बोर्ड की बैठक में मतदान से परहेज किया। भारत ने पाकिस्तान के सुधारों के क्रियान्वयन में पिछड़ेपन और सैन्य हस्तक्षेप को लेकर चिंता जताई है।
वैश्विक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश
भारत का कहना है कि पाकिस्तान को 35 वर्षों में से 28 वर्षों में आईएमएफ से सहायता मिली है, जिसमें पिछले पांच वर्षों में चार कार्यक्रम शामिल हैं, लेकिन सुधारों में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है। भारत ने यह भी चेतावनी दी है कि पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के बावजूद आईएमएफ की सहायता वैश्विक मूल्यों को कमजोर करती है और वित्तीय संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
उमर अब्दुल्ला की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब पाकिस्तान जम्मू और कश्मीर के पुंछ, राजौरी, उरी और तंगधार क्षेत्रों में लगातार गोलाबारी कर रहा है, जिससे भारतीय नागरिकों की जान-माल की हानि हो रही है। भारतीय सशस्त्र बल पाकिस्तान की इस आक्रामकता का समुचित और संतुलित जवाब दे रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए हैं, जिनमें नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया है। यह हमले जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए हमले में 26 लोगों की हत्या के जवाब में किए गए थे।
पाकिस्तान ने इन भारतीय हमलों के जवाब में ‘ऑपरेशन बुन्नियान-उन-मर्सूस’ शुरू किया है, जिसमें भारतीय वायुसेना के ठिकानों और सैन्य स्थलों को निशाना बनाया गया है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संयम बरतने की अपील की गई है।
उमर अब्दुल्ला की यह प्रतिक्रिया जम्मू और कश्मीर में बढ़ते तनाव और पाकिस्तान की आक्रामकता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। उनका सवाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय और वित्तीय संस्थाओं से यह है कि क्या वे पाकिस्तान की इस आक्रामकता को बढ़ावा देने वाली नीतियों को समर्थन देना जारी रखेंगे या वे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए जिम्मेदार निर्णय लेंगे।