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Bihar Assembly Elections 2025 : ओपी राजभर बढ़ाएंगे CM नीतीश की टेंशन, बिहार में 156 विधानसभा सीटों पर लड़ सकते हैं चुनाव

by Rakesh Pandey
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पटना : बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू जहां चुनावी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं, वहीं उत्तर प्रदेश की सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बिहार में चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। राजभर ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी 156 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि BJP से उनकी पार्टी को 25 सीटों का उचित हिस्सा नहीं मिलता, तो वह अकेले ही चुनावी दंगल में उतरेंगे।

ओपी राजभर का चुनावी ऐलान : बिहार में सुभासपा की ताकत

ओम प्रकाश राजभर ने बिहार के जहानाबाद जिले में इस योजना का खुलासा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी का बिहार में मजबूत प्रभाव है और पार्टी को नजरअंदाज करना बीजेपी के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर वह बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से बात कर चुके हैं। अगर बिहार विधानसभा चुनाव में सुभासपा को उचित सीटें नहीं मिलतीं, तो वह अकेले चुनावी रण में उतरने के लिए तैयार हैं।

यह बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए एक नई चुनौती उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि ओपी राजभर की पार्टी की यूपी और बिहार के कई इलाकों में मजबूत जड़ें हैं। इन क्षेत्रों में राजभर का राजनीतिक हस्तक्षेप नीतीश कुमार के लिए सत्ता के संकट का कारण बन सकता है, जिससे उनकी सीटों की संख्या पर असर पड़ सकता है।

ओपी राजभर की नाराजगी और नौकरशाही पर हमला

ओपी राजभर ने यूपी सरकार और उसकी नौकरशाही के खिलाफ भी मोर्चा खोला। राजभर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बावजूद यूपी के मदरसों में NCERT की किताबों का वितरण रोक दिया गया। यह कदम छात्रों को आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से लिया गया था, लेकिन जब ओपी राजभर ने इस मामले में जानकारी ली, तो पता चला कि बिना मुख्यमंत्री की मंजूरी के मदरसों में किताबों का वितरण रोक दिया गया।

राजभर ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है। मैंने यूपी के अपर मुख्य सचिव से रिपोर्ट की मांग की थी, लेकिन ढाई महीने से ज्यादा समय बीतने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह साबित करता है कि नौकरशाही का रवैया हमेशा एक जैसा रहता है। राजभर ने इस मामले को गंभीरता से उठाने की बात की और इसे अपनी प्राथमिकता में रखा है। वह चाहते हैं कि इस मुद्दे का शीघ्र समाधान हो।

सुभासपा की बढ़ती ताकत और बिहार चुनाव पर असर

ओम प्रकाश राजभर ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी अब केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रही है, बल्कि बिहार में भी उनकी पार्टी का अच्छा खासा असर है। बिहार के कई क्षेत्रों में सुभासपा का प्रभाव है और अब वह चुनावी रणनीति के तहत भाजपा और एनडीए को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अगर ओपी राजभर की पार्टी अकेले चुनावी मैदान में उतरती है, तो यह नीतीश कुमार और बीजेपी के लिए एक कठिन चुनौती साबित हो सकती है।

राजभर की पार्टी के समर्थन वाले क्षेत्रों में खासकर उन इलाकों में चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, जो अभी तक बीजेपी और जदयू के नियंत्रण में रहे हैं। राजभर की राजनीति में सक्रियता और उनकी पार्टी के प्रति बढ़ती पैठ यह संकेत देती है कि बिहार की राजनीति में सुभासपा का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा हो सकता है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की नई दिशा

ओपी राजभर का यह ऐलान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए नया मोड़ ला सकता है। उनकी पार्टी के पास बिहार और यूपी के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मजबूत जड़ें हैं और अगर सुभासपा अकेले चुनाव लड़ती है, तो यह बीजेपी और नीतीश कुमार दोनों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है। इस स्थिति में बिहार की राजनीतिक तस्वीर में बदलाव आ सकता है और चुनावी नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।

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