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Rajya Sabha : राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा, अदाणी और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग, कार्यवाही स्थगित

राज्यसभा के सभापति, जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए 20 नोटिस प्राप्त हुए थे, लेकिन वह इन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: सोमवार को राज्यसभा में विपक्ष ने अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों, उत्तर प्रदेश के संभल और मणिपुर में हिंसा और कानून-व्यवस्था की स्थिति सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। इस हंगामे के कारण उच्च सदन की कार्यवाही एक बार स्थगित होने के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

विपक्ष ने इन मुद्दों पर चर्चा की मांग की

सोमवार सुबह राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी दलों ने विभिन्न मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार से अनुरोध किया कि अदाणी समूह के भ्रष्टाचार, मणिपुर में जारी हिंसा, उत्तर प्रदेश के संभल में हाल की हिंसा और दिल्ली में अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा की जाए।

कांग्रेस के कई प्रमुख नेता जैसे प्रमोद तिवारी, अनिल कुमार यादव, रजनी पाटिल और सैयद नासिर हुसैन ने अदाणी समूह के कथित भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के मामले पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। वहीं, समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन और जावेद अली खान, कांग्रेस के नीरज डांगी और सीपीआई (एम) के ए ए रहीम ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हालिया हिंसा पर चर्चा की मांग की थी। मणिपुर में जारी हिंसा के बारे में भी द्रमुक के तिरूचि शिवा और निर्दलीय सांसद अजीत कुमार भुयान ने चर्चा की मांग की थी।

इसके अलावा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और राघव चड्ढा ने दिल्ली में बढ़ते अपराध और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के मुद्दों पर भी नोटिस दिए थे। इन सभी मुद्दों पर चर्चा की मांग को सभापति ने खारिज कर दिया, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

सभापति का बयान और कार्यवाही का स्थगन

राज्यसभा के सभापति, जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए 20 नोटिस प्राप्त हुए थे, लेकिन वह इन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने विचार व्यक्त करने की कोशिश की, लेकिन सभापति ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा कि उनकी बात अभी पूरी नहीं हुई है।

धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही की स्थिति की तुलना मर्फी के नियम से की, जिसमें कहा गया है कि “अगर किसी चीज के गलत होने की थोड़ी भी संभावना है, तो वह गलत होगी।” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष जानबूझकर सदन की कार्यवाही में रुकावट डालने की कोशिश कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप संसद का सही ढंग से कामकाज प्रभावित हो रहा है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने दें और आज के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करें।

विपक्षी सांसदों के शोरगुल और हंगामे के बीच, सभापति ने सदन की कार्यवाही को 11:15 बजे से 12 बजे तक स्थगित कर दिया। जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो भी हंगामा जारी रहा। सभापति ने प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की, लेकिन हंगामा समाप्त नहीं हुआ, जिसके कारण कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।

विपक्ष का प्रदर्शन और असहमति

राज्यसभा के इस सत्र में अब तक कोई खास विधायी कामकाज नहीं हो सका है। पहले सप्ताह में कोई शून्यकाल नहीं हुआ और न ही प्रश्नकाल का संचालन हो सका। विपक्षी दलों ने सरकार से लगातार अदाणी समूह के भ्रष्टाचार, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में हिंसा जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की है, लेकिन सभापति ने हर बार इन मांगों को अस्वीकार कर दिया।

संसदीय नियमों के तहत, अगर किसी सदस्य को सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की आवश्यकता होती है, तो वह विशेष रूप से नोटिस दे सकता है। यह प्रक्रिया “नियम 267” के तहत होती है, जो विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए अन्य कार्यों को निलंबित करने की अनुमति देती है। हालांकि, सभापति ने यह स्पष्ट किया कि पिछले 36 वर्षों में इस नियम को केवल छह बार ही लागू किया गया है और यह केवल असाधारण परिस्थितियों में ही अनुमति दी जा सकती है।

संसद का यह सत्र अभी तक विपक्ष और सरकार के बीच तीव्र असहमति का दृश्य बना हुआ है। जहां विपक्षी दलों ने बड़े मुद्दों पर चर्चा की मांग की है, वहीं सरकार और सभापति ने इसे स्वीकार करने से इनकार किया है। इससे न केवल संसद की कार्यवाही में बाधा आई है, बल्कि विपक्ष और सरकार के बीच का संवाद भी प्रभावित हुआ है। इस तरह के गतिरोध से यह सवाल उठता है कि क्या इस शीतकालीन सत्र में कोई महत्वपूर्ण विधायी कामकाज हो पाएगा या फिर यह सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा।

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