गोरखपुर : स्वर्गीय सत्य नारायण मिश्र ‘सत्तन’ की पुण्य स्मृति में साहित्यिक संस्था भोजपुरी संगम की ओर से आयोजित समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आद्या प्रसाद द्विवेदी को सत्तन सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया। यह आयोजन गोरखपुर के प्रेस क्लब सभागार में किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रो. रामदरश राय ने की और संचालन डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त ने किया।
स्व. सत्तन के साहित्यिक योगदान पर की गई विस्तृत चर्चा
इस अवसर पर मंच पर उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों को अंगवस्त्र और मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। डॉ. कुमार नवनीत द्वारा मान पत्र का वाचन किया गया जबकि चंद्रेश्वर ‘परवाना’ ने डॉ. द्विवेदी एवं स्व. सत्तन के साहित्यिक योगदान पर विस्तृत चर्चा की।
कार्यक्रम में अरविंद अकेला ने श्रद्धांजलि गीत प्रस्तुत किया, जबकि कुमार अभिनीत ने सत्तन द्वारा रचित गीत “रितु जाई सवनवा के बीत, मीत अब चलि आ घरे” का सरस पाठ किया।
डॉ. जनार्दन सिंह ने सत्तनजी के व्यक्तित्व की सरलता और आंतरिक दृढ़ता पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ आलोचक श्रीधर मिश्र ने कहा कि सत्तनजी जितने सरल थे, उतने ही गहराई से अपनी भाषा के लिए प्रतिबद्ध भी थे।
भोजपुरी को वैज्ञानिक शब्दों से समृद्ध किया जाना चाहिए
डीआईजी मुन्ना सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि भोजपुरी को वैज्ञानिक शब्दों से समृद्ध किया जाना चाहिए और यह अन्य भाषाओं में भी जाना चाहिए।
प्रो. अनिल राय ने सत्तनजी को केवल एक रचनाकार नहीं, बल्कि भोजपुरी को चौके से चौपाल तक पहुंचाने वाले आंदोलनकारी के रूप में याद किया।
डॉ. आद्या प्रसाद द्विवेदी ने जताया आभार
सम्मानित साहित्यकार डॉ. आद्या प्रसाद द्विवेदी ने अपनी साहित्यिक यात्रा के अनुभव साझा किए और सत्तनजी से जुड़े संस्मरणों को साझा करते हुए सम्मान के प्रति आभार जताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. रामदरश राय ने सत्तनजी के भोजपुरी प्रेम और उनके पुत्रों कुमार अभिनीत, डॉ. कुमार नवनीत और डॉ. विनीत मिश्र की निष्ठा की विशेष सराहना की। उन्होंने भोजपुरी साहित्य के इतिहास लेखन की आवश्यकता पर भी बल दिया।
इस आयोजन में सृजन गोरखपुरी, मुकेश आचार्य, सुभाष यादव, डॉ. अजय राय अंजान, ओम प्रकाश पांडेय आचार्य सहित 100 से अधिक साहित्यकार एवं भोजपुरी प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आभार ज्ञापन संस्था के संरक्षक इं. राजेश्वर सिंह ने किया।
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